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👉🏻पोस्ट को समझने के लिए हिकायत (पोस्ट-110) को पढ़ ले।
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♥पचास दिन तक हजरत उसमान उसी मकान मे कैद रहे कुछ अरसे से बराबर रोजे रखते रहे। एक रात आपने ख्वाब मे देखा की हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) अपने मजार शरीफ से बाहर तशरिफ लाए। अबु बक्र व उमर (रजी अल्लाहु अन्हुमा) आपके साथ है। हजरत उसमान के पास आये और फरमाया:- ऐ उसमान! क्या तुम्हे बहुत प्यास लगी है?? तुमने चालीस दिन तक रोजा रखा। ऐ उसमान! कल रोजा तुम हमारे पास आकर खोलोगे हम हौजे कौसर से तुम्हे रोजा खुलवाएगें। ऐ उसमान! कल तुम शहीद किये जाओगे। तुम्हारे खुन का पहला कतरा आयत "फ स यकफी क हुमुल्लाहु हुवस समीउल अलीम" पर पड़ेगा।
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♥यह ख्वाब देखकर हजरत उसमान ने अपने मकान का दरवाजा खोल दिया फरमाया:- आने दो! आज तो दावत हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) हौजे कौसर पर कर गये है।
दरवाजा खुलते ही बलवाई अंदर घुस आये इस ख्याल से की कोइ दरवाजा फिर बंद न कर दे। किवाड़ मे आग लगा दी। दरवाजे के उपर छप्पड़ पड़ा था उसको भी आग लग गई। घर वाले घबरा गये। मगर हजरत उसमान उस वक्त नमाज पढ़ते थे और सुर: ता हा शुरु की थी। घर मे आग लग रही थी मगर आपकी नमाज या किरअत मे जरा भी फर्क या लुकनत न आइ थी। यहां तक की नमाज से आप फारिग हुए। कुरआन मंगाया; खोला सामने रखा वही आयत निकली।
एक आदमी आपको कत्ल के इरादे से आपके पास आया। आपने फरमाया तु मुझको कत्ल न कर। क्योंकी नबी अलैहीस्सलाम ने तेरे लिए दुआ की थी की अल्लाह तुझको उसमान के खुन मे हांथ रंगने से बचाए। क्या तु मेरे नबी के दुआ के खिलाफ करेगा।??
उस शख्स को यह बात सुनते ही पसीना आ गया और शर्मीन्दा होकर घर से निकल गया।
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इन्शा अल्लाह बाकी हिकायत (पोस्ट-112) मे.....
√ Post Written By :-
#(मोहम्मद अरमान गौस अंसारी)