نــمــاز کـا بــیــان
حــصّــہ 8 ســے 62
نــمــاز کــے تــمــام فــرضــں اور واجــبــات کــو کــیــا یــاد کــرنــا ضــروری ہــے ؟
بــیــشــک تــمــام فــرائــضــں و واجــبــات کــو یــاد کــرنــا لازم ضــروری ہــے۔ فــرائــضــں کــو اســں لــیــے کــے ایــک بھــی فــرضــں اگــر چہــوٹ جــائــے تــو نــمــاز ہــی نــہــیــں ہــوگــی اســں لــیــے یــاد کــرلــیــنــا ضــروری ہــے کــہ اگــر ہــمــیــں یــاد نــہ کــیــا اور کــســی نــمــاز مــیــں کــوئــی فــرضــں چهــوٹ جــائــے تــو نــمــاز ہــی نــہــیــں ہــوگـی ا
ور ہــم کــو پــتــہ بھــی نــہ چــلــے گـا کــہ جــســں نــمــاز کــو ہــم ســمــجھ رہــے ہــے کــہ نــمــاز پــڑھ لــی وہ نــمــاز ہــم پــر بــاقــی ہــے۔ واجــبــات کــو بھــی زبــانــی یــاد کــرنــا اســں لــیــے ضــروری ہــے کــہ واجــب کــے چهــوٹ جــانــے ســے ہــمــاری نــمــاز واجــب اعــاده مــطــلــب اگــر واجــب چھــوٹــنــے کــے بــعــد اگــر ســجــدہ ســہــو نــا کــیــا تــو وہ نــمــاز بھــی پہــر ســے نــمــاز پــڑھــنــی ہــوگــی اور واجــب ادا ہـــوا یــا چہــوٹ گــیــا یــہ اســں ہــی وقــت پــتــہ چــلــے گـا جــب ہــم کــو پــتــہ ہــو کــہ کــونــســی چــیــز واجــب ہــے اســں لــیــے تــمــام فــرائــضــں اور واجــبــات کــو یــاد کــر لــے یــہ ایــک ســاتھ یــاد ہــونــا مــشــکــل ہــے اســں لــیــے الــگ کــر کے 7 فــرائــضــں کــو ایــک ســاتھ یــاد ہــو ســکــتــے ہــے۔ لــیــکــن واجــبــات 30 کــے قــریــب ہــے۔ واجــبــات کــو تــقــســیــم کــر لــے واجــبــات یــاد کــرلــے 5 واجــبــات یــاد کــر لــے پہــر 5 پہــر 5 اســں طــرح ســے آســانــی ســے یــاد ہــوجــائــے گـا ۔ ان شــاء الــلّــه اپــنــے فــضــل ســے ہــم سـبــھــی ایــمــان والــوں کــو ســمــجھ عــطــا کــرے۔ عــمــل کــی تــوفــیــق بــخــشــے دل و نــظــر کــی پــاکــیــزگــی عــطــا فــرمــائــے ۔آمــیــن
نــمــاز مــیــں کــتــنــے فـرائــضــں ہــے ؟
نــمــاز مــیــں کــل 7 فــرائــضــں ہــے۔
تــکــبــیــرہ تــعــریــمــہ
قــیــام
قــرآت
رکــوع
ســجــود
ســجــدے
قــعــده آخــیــرہ
خــروج بــصــنــعــہ
یــعــنــی ســلام پھــیــرنــا
نــمــاز ســے بــاہــر نــکــلــنــے کــے لــیــے دائــيــں اور بــائــیــں کــنــدهــے کــی طــرف مــنــہ کــر کــے ســلام پھــیــرنــا اســے خــروج بــصــنــعــہ کــہــتــے ہــے یــہ نــمــاز کـا آخــری فــرضــں ہــے۔
مـــســلــکِ اعــلٰــی حــضــرت ســلامــت رہــیــں
ایــک پــہــچــان دیــن نــبــیﷺ کــے لــیــے.
جــمــاعــتِ رضــائــے مــصــطــفــے
नमाज़ का बयान
भाग : 08 से 62
नमाज़ के तमाम फर्ज़ और तमाम वाजिब को क्या याद करना ज़रूरी है ? ? ?
बेशक तमाम फराइज़-ओ-वाजिबात को याद करना लाज़िम ज़रूरी है. फराइज़ को इस लिये के एक भी फर्ज़ अगर छूठ जाये तो नमाज़ ही नही होगी इस लिये याद कर लेना ज़रूरी है के अगर हमने याद ना किया और किसी नमाज़ में कोई फर्ज़ छूट जाये तो नमाज़ ही नही होगी और हम को पता भी नही चलेगा के जिस नमाज़ को हम समझ रहे है के पढ़ली वो नमाज़ हम पर बाकी है.
वाजिबात को भी ज़बानी याद करना इस लिये ज़रूरी है के वाजिब के छूट जाने से हमारी नमाज़ वाजिब-उल-ई-अदा मतलब अगर वाजिब छूटने के बाद अगर सज्दा-ए-साहुव ना किया तो वो नमाज़ भी फिर से पढ़नी होगी और वाजिब अदा हुवा या छूट गया ये उस ही वक़्त पता चलेगा जब हम को पता हो के कोनसी चीज़ वाजिब है. इस लिये तमाम फराइज़ और वाजिबात को याद कर ले. ये एक साथ याद होना मुश्किल है. इस लिये तक़्सीम कर दे. 7 फराइज़ तो एक साथ याद हो सकते है. लेकिन वाजिबात 30 के क़रीब है. वाजिबात को तक़्सीम कर ले. पेह्ले 5 वाजिबात याद कर ले. फिर 5 और फिर 5 इस तराह से आसानी से याद हो जयेगा.
इन शा अल्लाह अपने फज़्ल से हम सभी इमान वालो को समझ अता करे अमल की तौफिक़ बख्से. दिल-ओ-नज़र की पकीज़गी अता करे. अमीन
नमाज़ में कितने फराइज़ है ?
नमाज़ में कुल 7 फराइज़ है.
तक्बीर-ए-तेहरीमा
क़याम
क़ीरत
रूकू
सूजूद
सज्दे
क़ैएदा-ए-अखिरा
खुरुज बेसुन्हि
यानी सलाम फेरना. नमाज़ के बाहर निकलने के लिये दाए और बाए कंधे की तरफ़ मुँह कर के सलाम फेरना. इसहे खुरुज बेसुन्हि केह्ते है. ये नमाज़ का आखरी फर्ज़ है.
मस्लक-ए-आला हजरत सलामत रहे
एक पेह्चान दीन-ए-नबीﷺ के लिये
जमाअत रजा-ए-मुस्तफा
NAMAAZ KA BAYAAN
PART : 08 OF 62
NAMAAZ K TAMAM FARZ AUR TAMAM WAAJIB KO KYA YAAD KARNA ZAROORI HAI ? ? ?
BESHAK TAMAM FARA'IZ-O-WAJIBAAT KO YAAD KARNA LAAZIM ZAROORI HAI. FARA'IZ KO IS LIYE K EK BHI FARZ AGAR CHHOOT JAYE TOH NAMAAZ HE NAHI HOGI IS LIYE YAAD KAR LENA ZAROORI HAI K AGAR HAMNE YAAD NA KIYA AUR KISI NAMAAZ MEIN KOI FARZ CHHOOT JAYE TOH NAMAAZ HE NAHI HOGI AUR HAM KO PATA BHI NA CHALEGA K JISS NAMAAZ KO HUM SAMAJH RAHE HAI K PADHLI WO NAMAAZ HUM PAR BAAQI HAI.
WAJIBAAT KO BHI ZABAANI YAAD KARNA IS LIYE ZAROORI HAI K WAAJIB K CHHOOT JAANE SE HUMARI NAMAAZ WAJIB-UL-E-AADA MATLAB AGAR WAAJIB CHUTNE K BAAD AGAR SAJDA-E-SAHUW NA KIYA TOH WO NAMAAZ BHI PHIR SE PADHNI HOGI AUR WAJIB AADA HUWA YA CHHOOT GAYA YE US HE WAQT PATA CHALEGA JAB HUM KO PATA HO K KONSI CHEEZE WAAJIB HAI. IS LIYE TAMAM FARAA'IZ AUR WAJIBAAT KO YAAD KAR LE. YE EK SATH YAAD HONA MUSHKIL HAI. IS LIYE DIVIDE KAR DE. 7 FARAA'IZ TOH EK SATH YAAD HO SAKTE HAI. LEKIN WAAJIBAAT 30 K QAREEB HAI. WAAJIBAAT KO TAQSEEM KAR LE. PEHLE 5 WAJIBAAT YAAD KAR LE. PHIR 5 AND PHIR 5 IS TRAH SE AASAANI SE YAAD HO JAYEGA.
IN SHA ALLAH
ALLAH APNE FAZL SE HUM SABHI EMAAN WALO KO SAMAJH AATA KARE AMAL KI TAUFIQUE BAKHSHE. DIL-O-NAZAR KI PAAKEEZGI AATA KARE. AMEEN
NAMAAZ MEIN KITNE FARAA'IZ HAI ?
NAMAAZ MEIN KUL 7 FARAA'IZ HAI.
TAKBEER-E-TAHRIMA
QEYAAM
QEERAT
RUKU
SUJOOD
SAJDE
QAADA-E-AKHIRA
KHURUJ BESUN'EHI
YAANI SALAAM PHERNA
YAANI SALAAM PHERNA. NAMAAZ K BAHAR NIKALNE K LIYE DAAYE AUR BAAYE KANDHE KI TRAF MUNH KAR K SALAM PHERNA. ISHE KHURUJ BESU'EHI KEHTE HAI. YE NAMAAZ KA AAKHRI FARZ HAI
MASLAK-E-AALA HAZRAT SALAMAT RAHE
EK PEHCHAN DEEN-E-NABIﷺ K LIYE
حــصّــہ 8 ســے 62
نــمــاز کــے تــمــام فــرضــں اور واجــبــات کــو کــیــا یــاد کــرنــا ضــروری ہــے ؟
بــیــشــک تــمــام فــرائــضــں و واجــبــات کــو یــاد کــرنــا لازم ضــروری ہــے۔ فــرائــضــں کــو اســں لــیــے کــے ایــک بھــی فــرضــں اگــر چہــوٹ جــائــے تــو نــمــاز ہــی نــہــیــں ہــوگــی اســں لــیــے یــاد کــرلــیــنــا ضــروری ہــے کــہ اگــر ہــمــیــں یــاد نــہ کــیــا اور کــســی نــمــاز مــیــں کــوئــی فــرضــں چهــوٹ جــائــے تــو نــمــاز ہــی نــہــیــں ہــوگـی ا
ور ہــم کــو پــتــہ بھــی نــہ چــلــے گـا کــہ جــســں نــمــاز کــو ہــم ســمــجھ رہــے ہــے کــہ نــمــاز پــڑھ لــی وہ نــمــاز ہــم پــر بــاقــی ہــے۔ واجــبــات کــو بھــی زبــانــی یــاد کــرنــا اســں لــیــے ضــروری ہــے کــہ واجــب کــے چهــوٹ جــانــے ســے ہــمــاری نــمــاز واجــب اعــاده مــطــلــب اگــر واجــب چھــوٹــنــے کــے بــعــد اگــر ســجــدہ ســہــو نــا کــیــا تــو وہ نــمــاز بھــی پہــر ســے نــمــاز پــڑھــنــی ہــوگــی اور واجــب ادا ہـــوا یــا چہــوٹ گــیــا یــہ اســں ہــی وقــت پــتــہ چــلــے گـا جــب ہــم کــو پــتــہ ہــو کــہ کــونــســی چــیــز واجــب ہــے اســں لــیــے تــمــام فــرائــضــں اور واجــبــات کــو یــاد کــر لــے یــہ ایــک ســاتھ یــاد ہــونــا مــشــکــل ہــے اســں لــیــے الــگ کــر کے 7 فــرائــضــں کــو ایــک ســاتھ یــاد ہــو ســکــتــے ہــے۔ لــیــکــن واجــبــات 30 کــے قــریــب ہــے۔ واجــبــات کــو تــقــســیــم کــر لــے واجــبــات یــاد کــرلــے 5 واجــبــات یــاد کــر لــے پہــر 5 پہــر 5 اســں طــرح ســے آســانــی ســے یــاد ہــوجــائــے گـا ۔ ان شــاء الــلّــه اپــنــے فــضــل ســے ہــم سـبــھــی ایــمــان والــوں کــو ســمــجھ عــطــا کــرے۔ عــمــل کــی تــوفــیــق بــخــشــے دل و نــظــر کــی پــاکــیــزگــی عــطــا فــرمــائــے ۔آمــیــن
نــمــاز مــیــں کــتــنــے فـرائــضــں ہــے ؟
نــمــاز مــیــں کــل 7 فــرائــضــں ہــے۔
تــکــبــیــرہ تــعــریــمــہ
قــیــام
قــرآت
رکــوع
ســجــود
ســجــدے
قــعــده آخــیــرہ
خــروج بــصــنــعــہ
یــعــنــی ســلام پھــیــرنــا
نــمــاز ســے بــاہــر نــکــلــنــے کــے لــیــے دائــيــں اور بــائــیــں کــنــدهــے کــی طــرف مــنــہ کــر کــے ســلام پھــیــرنــا اســے خــروج بــصــنــعــہ کــہــتــے ہــے یــہ نــمــاز کـا آخــری فــرضــں ہــے۔
مـــســلــکِ اعــلٰــی حــضــرت ســلامــت رہــیــں
ایــک پــہــچــان دیــن نــبــیﷺ کــے لــیــے.
جــمــاعــتِ رضــائــے مــصــطــفــے
नमाज़ का बयान
भाग : 08 से 62
नमाज़ के तमाम फर्ज़ और तमाम वाजिब को क्या याद करना ज़रूरी है ? ? ?
बेशक तमाम फराइज़-ओ-वाजिबात को याद करना लाज़िम ज़रूरी है. फराइज़ को इस लिये के एक भी फर्ज़ अगर छूठ जाये तो नमाज़ ही नही होगी इस लिये याद कर लेना ज़रूरी है के अगर हमने याद ना किया और किसी नमाज़ में कोई फर्ज़ छूट जाये तो नमाज़ ही नही होगी और हम को पता भी नही चलेगा के जिस नमाज़ को हम समझ रहे है के पढ़ली वो नमाज़ हम पर बाकी है.
वाजिबात को भी ज़बानी याद करना इस लिये ज़रूरी है के वाजिब के छूट जाने से हमारी नमाज़ वाजिब-उल-ई-अदा मतलब अगर वाजिब छूटने के बाद अगर सज्दा-ए-साहुव ना किया तो वो नमाज़ भी फिर से पढ़नी होगी और वाजिब अदा हुवा या छूट गया ये उस ही वक़्त पता चलेगा जब हम को पता हो के कोनसी चीज़ वाजिब है. इस लिये तमाम फराइज़ और वाजिबात को याद कर ले. ये एक साथ याद होना मुश्किल है. इस लिये तक़्सीम कर दे. 7 फराइज़ तो एक साथ याद हो सकते है. लेकिन वाजिबात 30 के क़रीब है. वाजिबात को तक़्सीम कर ले. पेह्ले 5 वाजिबात याद कर ले. फिर 5 और फिर 5 इस तराह से आसानी से याद हो जयेगा.
इन शा अल्लाह अपने फज़्ल से हम सभी इमान वालो को समझ अता करे अमल की तौफिक़ बख्से. दिल-ओ-नज़र की पकीज़गी अता करे. अमीन
नमाज़ में कितने फराइज़ है ?
नमाज़ में कुल 7 फराइज़ है.
तक्बीर-ए-तेहरीमा
क़याम
क़ीरत
रूकू
सूजूद
सज्दे
क़ैएदा-ए-अखिरा
खुरुज बेसुन्हि
यानी सलाम फेरना. नमाज़ के बाहर निकलने के लिये दाए और बाए कंधे की तरफ़ मुँह कर के सलाम फेरना. इसहे खुरुज बेसुन्हि केह्ते है. ये नमाज़ का आखरी फर्ज़ है.
मस्लक-ए-आला हजरत सलामत रहे
एक पेह्चान दीन-ए-नबीﷺ के लिये
जमाअत रजा-ए-मुस्तफा
NAMAAZ KA BAYAAN
PART : 08 OF 62
NAMAAZ K TAMAM FARZ AUR TAMAM WAAJIB KO KYA YAAD KARNA ZAROORI HAI ? ? ?
BESHAK TAMAM FARA'IZ-O-WAJIBAAT KO YAAD KARNA LAAZIM ZAROORI HAI. FARA'IZ KO IS LIYE K EK BHI FARZ AGAR CHHOOT JAYE TOH NAMAAZ HE NAHI HOGI IS LIYE YAAD KAR LENA ZAROORI HAI K AGAR HAMNE YAAD NA KIYA AUR KISI NAMAAZ MEIN KOI FARZ CHHOOT JAYE TOH NAMAAZ HE NAHI HOGI AUR HAM KO PATA BHI NA CHALEGA K JISS NAMAAZ KO HUM SAMAJH RAHE HAI K PADHLI WO NAMAAZ HUM PAR BAAQI HAI.
WAJIBAAT KO BHI ZABAANI YAAD KARNA IS LIYE ZAROORI HAI K WAAJIB K CHHOOT JAANE SE HUMARI NAMAAZ WAJIB-UL-E-AADA MATLAB AGAR WAAJIB CHUTNE K BAAD AGAR SAJDA-E-SAHUW NA KIYA TOH WO NAMAAZ BHI PHIR SE PADHNI HOGI AUR WAJIB AADA HUWA YA CHHOOT GAYA YE US HE WAQT PATA CHALEGA JAB HUM KO PATA HO K KONSI CHEEZE WAAJIB HAI. IS LIYE TAMAM FARAA'IZ AUR WAJIBAAT KO YAAD KAR LE. YE EK SATH YAAD HONA MUSHKIL HAI. IS LIYE DIVIDE KAR DE. 7 FARAA'IZ TOH EK SATH YAAD HO SAKTE HAI. LEKIN WAAJIBAAT 30 K QAREEB HAI. WAAJIBAAT KO TAQSEEM KAR LE. PEHLE 5 WAJIBAAT YAAD KAR LE. PHIR 5 AND PHIR 5 IS TRAH SE AASAANI SE YAAD HO JAYEGA.
IN SHA ALLAH
ALLAH APNE FAZL SE HUM SABHI EMAAN WALO KO SAMAJH AATA KARE AMAL KI TAUFIQUE BAKHSHE. DIL-O-NAZAR KI PAAKEEZGI AATA KARE. AMEEN
NAMAAZ MEIN KITNE FARAA'IZ HAI ?
NAMAAZ MEIN KUL 7 FARAA'IZ HAI.
TAKBEER-E-TAHRIMA
QEYAAM
QEERAT
RUKU
SUJOOD
SAJDE
QAADA-E-AKHIRA
KHURUJ BESUN'EHI
YAANI SALAAM PHERNA
YAANI SALAAM PHERNA. NAMAAZ K BAHAR NIKALNE K LIYE DAAYE AUR BAAYE KANDHE KI TRAF MUNH KAR K SALAM PHERNA. ISHE KHURUJ BESU'EHI KEHTE HAI. YE NAMAAZ KA AAKHRI FARZ HAI
MASLAK-E-AALA HAZRAT SALAMAT RAHE
EK PEHCHAN DEEN-E-NABIﷺ K LIYE