نــمــاز کــا بــیــان
حــصّــہ 9 ســے 62
نــمــاز کــی ســنَّــتــیــں کــتــنــی ہــے اور کــیــا ســنَّــتــوں پـر عــمــل کــرنــا ضـروری ہـے؟
نــمــاز کــی تــکــبــیــر 96 ســنَّــتــيــں ہــے ســنَّــتــوں کــا کــرنــا ضــروری ہــے اور کــرنــے والا اجــر وثــواب پــائــیــگا ســنَّــت کــے بــغــیــر نــمــاز کــامــل نــہــیــں ہــوگــی اور نــمــاز کــا ثــواب بھــی کــم ہــو جــائــے گــا ســنَّــت کــو جــان بــوجھ کــر چهــوڑھــنــے والا شــريــعــت کــی نــظــر مــیــں بــہــت بــرا ہــے ســنَّــت کــو ہــمــیــشــہ چهــوڑھــنــے کــی عــادت ڈالــنــے والا عــذاب کــا حــقــدار ہــے۔
تــکــبــیــرہ تــحــریــمــہ کــی ســنَّــت
تــکــبــیــرہ تــحــریــمــہ کــے لــیــے ہــاتھ اٹھــانــا۔
ہــاتھــوں کــی انــگــلــیــاں اپــنــے ہــال پــر چهــوڑھــنــا نــا بــلــکــل كــڑک رکہــے نــا مــلائــے۔
ہــتھــیــلــوں اور انــگــلــیــوں اور کــا پــيــٹھ کــا رکھ قــبــلــے کــی طــرف ہــونــا۔
تــکــبــیــرکــہــتــے وقــت ســر کــو نــا جکھــانــا۔
تــکــبــیــر شــروع کــرنــے ســے پــہــلــے ہــی دونــوں ہــاتھ کــانــوں تــک اٹهــالــیــنــا۔
تــکــبــیـرہ قــنــوت اور دونــوں عــیــدوں مــیــں بھــی اســں ہــی طــرح کــرے۔
امــام کــا اونــچــی آواز ســے الــلَّــه اکــبــر
ســمــیــع الــلّــه لِــمــن حــمـيــدہ
اور ســلام کـہـنـا
تــکــبــیــر کــے بــعــد فــوراًن ہــاتھ بــانــدھ لــیــنــا۔
قــیــام کــی ســنَّــتــے
مــرد نــاف کــے نــیــچــے ہــاتھ بــانــدھــے۔
دائــیــں ہــاتھ کــی ہــتھــیــلــی بــائــیــں ہــاتھ کــی کــلائــی کــے جــوئــنــت پــر چہــوٹــی اُنــگــلــی اور اَنــگــوٹھــے ســے کــلائــی پــکــڑ لــے اور بــاقــی تــیــن 3 انــگــلــیـاں کــلائــی کــی پــیــٹھ پــر.
پــہــلــے ســنــا پھــر اعــوذ بــالــلَّــه اور بــســم الــلّــه اور تــیــنــوں کــو ایــک کــے بــعــد ایــک فــوراًن کــہــنــا اور ســب کــو اتــنــی آواز ســے پــڑھنــا کــہ خــود ســن ســکــے۔
تــکــبــیــر کــے بــعــد فــوراًن ســنا پــڑھــنا
اعــوذبــالــّلــه صــرف پــہــلــے مــیــں ہــی پــڑھــنـا۔
بــســم الــلَّــه ہـر رکــعـت کــے شــروع مــیــں پــڑھــنـا۔
مـــســلــکِ اعــلٰــی حــضــرت ســلامــت رہــیــں
ایــک پــہــچــان دیــن نــبــیﷺ کــے لــیــے.
جــمــاعــتِ رضــائــے مــصــطــفــے
........................................
नमाज़ का बयान
भाग : 09 से 62
नमाज़ की सुन्नते कितनी है और क्या सुन्नतो पर अमल करना ज़रूरी है ?
नमाज़ की तक़रीबन 96 सुन्नते है. सुन्नतो का करना ज़रूरी है और करने वाला अजर-ओ-सवाब पायेगे. सुन्नत के बगैर नमाज़ कामिल नही होगी और नमाज़ का सवाब भी कम हो जायेगा. सुन्नत को जान बुज कर छोड़ने वाला शरीअत की नज़र में बहुत बुरा है. सुन्नत को हमेशा छोड़ने की आदत डालने वाला अज़ाब का हक़दार है.
तक्बिर-ए-तेहरीमा की सुन्नते
तक्बिर-ए-तेहरीमा के लिये हाथ उठाना.
हाथो की उँगलिया अपने हाल पर छोड़ना. ना कडक करे ना बिल्कुल मिलाएँ
हतेलियो और उँगलियो का पैठ का रुख क़िब्ले की तरफ़ होना.
तक्बीर केह्ते वक़्त सर को ना झुकाना.
तक्बीर शूरू करने से पहले ही दोनो हाथ कानो तक उठा लेना.
तक्बीर-ए-क़्नूत और दोनो ईदो में भी इस ही तरह करे.
इमाम का उंची आवाज़ से
अल्लाहू अकबर
समी-अल्लाहू-लिमन हमिदा
और सलाम केहना .
तक्बीर के बाद फ़ौरन हाथ बाँध लेना.
क़याम की सून्नत मर्द नाफ़ के नीचे हाथ बाँधे.
दाये हाथ की हेतेली बाये हाथ की कलायी के जोइंट पर छोटी उँगली और अँगूठे से कलायी पकड़ ले और बाकी तीन ( 3 ) उँगलिया कलायी की पीठ पर . पेहल सना फिर आओज़ूबिल्लाह और बिस्मिल्लाह पढ़ना और तीनो को एक के बाद एक फ़ौरन केहना और सब को इतनी आवाज़ से पढ़ना के खुद सून सके.
आमीन कहना और आहिस्ता कहना
तक्बीर के बाद फ़ौरन सना पढ़ना
आओज़ूबिल्लाह सिर्फ पहली रकाअत में ही पढ़ना
बिस्मिल्लाह हर रकाअत के शुरू में पढ़ना.
मस्लक-ए-आला हजरत सलामत रहे
एक पेह्चान दीन-ए-नबीﷺ के लिये
जमाअत रजा-ए-मुस्तफा
........................................
NAMAAZ KA BAYAAN
PART : 09 OF 62
NAMAAZ KI SUNNATE KITNI HAI AUR KYA SUNNATO PAR AMAL KARNA ZAROORI HAI ?
NAMAAZ KI TAQRIBAN 96 SUNNATE HAI. SUNNATO KA KARNA ZAROORI HAI AUR KARNE WALA AJAR-O-SAWAAB PAAYEGA. SUNNAT K BAGAIR NAMAAZ KAAMEL NAHI HOGI AUR NAMAAZ KA SAWAB BHI KAM HO JAYEGA. SUNNAT KO JAAN BUJJ KAR CHODNE WALA SHARI'AT KI NAZAR MEIN BAHUT BURA HAI. SUNNAT KO HAMESA CHODNE KI AADAT DAALNE WALA AZAAB KA HAQDAAR HAI.
TAKBIR-E-TAHRIMAH KI SUNNATE
TAKBIR-E-TAHRIMAH K LIYE HAATH UTHANA.
HAATHO KI UNGLIYA APNE HAAL PAR CHODNA. NA KADAK KARE NA BILKUL MILAYE
HATHELIYO AUR UNGLIYO KA PAIT KA RUKH QIBLE KI TRAF HONA.
TAKBEER KEHTE WAQT SIR KO NA JHUKANA.
TAKBEER SHURU KARNE SE PEHLE HE DONO HAATH KAANO TAK UTHA LENA.
TAKBIR-E-QUNOOT AUR DONO EIDO MEIN BHI IS HE TRAH KARE.
IMAAM KA UNCHI AAWAAZ SE
ALLAHU AKBAR
SAMI-ALLAHU-LIMAN HAMIDA
AUR SALAAM KEHNA.
TAKBEER K BAAD FORAN HAATH BANDH LENA.
QEYAAM KI SUNNATE MARD NAAF K NICHE HAATH BAANDHE.
DAAYE HATH KI HATHELI BAAYE HATH KI KALAYI K JOINT PAR CHOTI UNGLI AUR ANGUTHE SE KALAYI PAKAD LE AUR BAAKI TEEN ( 3 ) UNGLIYA KALAYI KI PEETH PAR PEHLE SANA PHIR AOOZUBILLAH AUR BISMILLAH PADHNA AUR TEENO KO EK K BAAD EK FORAN KEHNA AUR SAB KO ITNI AAWAAZ SE PADHNA K KHUD SOON SAKE.
AMEEN KEHNA AUR AAHISTA KEHNA
TAKBEER K BAAD FORAN SANA PADHNA
AOOZUBILLAH SIRF PEHLI RAKA'AT MEIN HE PADHNA
BISMILLAH HAR RAKA'AT K SHURU MEIN PADHNA.
MASLAK-E-AALA HAZRAT SALAMAT RAHE
EK PEHCHAN DEEN-E-NABIﷺ K LIYE
🚨 طالِبِ دُعا:-
جماعت رضا ء مصطفے ﷺ ٰ باندرہ (ممبئی)
🚨Jamat Raza E Mustafa ﷺ Bandra(Mumbai)
حــصّــہ 9 ســے 62
نــمــاز کــی ســنَّــتــیــں کــتــنــی ہــے اور کــیــا ســنَّــتــوں پـر عــمــل کــرنــا ضـروری ہـے؟
نــمــاز کــی تــکــبــیــر 96 ســنَّــتــيــں ہــے ســنَّــتــوں کــا کــرنــا ضــروری ہــے اور کــرنــے والا اجــر وثــواب پــائــیــگا ســنَّــت کــے بــغــیــر نــمــاز کــامــل نــہــیــں ہــوگــی اور نــمــاز کــا ثــواب بھــی کــم ہــو جــائــے گــا ســنَّــت کــو جــان بــوجھ کــر چهــوڑھــنــے والا شــريــعــت کــی نــظــر مــیــں بــہــت بــرا ہــے ســنَّــت کــو ہــمــیــشــہ چهــوڑھــنــے کــی عــادت ڈالــنــے والا عــذاب کــا حــقــدار ہــے۔
تــکــبــیــرہ تــحــریــمــہ کــی ســنَّــت
تــکــبــیــرہ تــحــریــمــہ کــے لــیــے ہــاتھ اٹھــانــا۔
ہــاتھــوں کــی انــگــلــیــاں اپــنــے ہــال پــر چهــوڑھــنــا نــا بــلــکــل كــڑک رکہــے نــا مــلائــے۔
ہــتھــیــلــوں اور انــگــلــیــوں اور کــا پــيــٹھ کــا رکھ قــبــلــے کــی طــرف ہــونــا۔
تــکــبــیــرکــہــتــے وقــت ســر کــو نــا جکھــانــا۔
تــکــبــیــر شــروع کــرنــے ســے پــہــلــے ہــی دونــوں ہــاتھ کــانــوں تــک اٹهــالــیــنــا۔
تــکــبــیـرہ قــنــوت اور دونــوں عــیــدوں مــیــں بھــی اســں ہــی طــرح کــرے۔
امــام کــا اونــچــی آواز ســے الــلَّــه اکــبــر
ســمــیــع الــلّــه لِــمــن حــمـيــدہ
اور ســلام کـہـنـا
تــکــبــیــر کــے بــعــد فــوراًن ہــاتھ بــانــدھ لــیــنــا۔
قــیــام کــی ســنَّــتــے
مــرد نــاف کــے نــیــچــے ہــاتھ بــانــدھــے۔
دائــیــں ہــاتھ کــی ہــتھــیــلــی بــائــیــں ہــاتھ کــی کــلائــی کــے جــوئــنــت پــر چہــوٹــی اُنــگــلــی اور اَنــگــوٹھــے ســے کــلائــی پــکــڑ لــے اور بــاقــی تــیــن 3 انــگــلــیـاں کــلائــی کــی پــیــٹھ پــر.
پــہــلــے ســنــا پھــر اعــوذ بــالــلَّــه اور بــســم الــلّــه اور تــیــنــوں کــو ایــک کــے بــعــد ایــک فــوراًن کــہــنــا اور ســب کــو اتــنــی آواز ســے پــڑھنــا کــہ خــود ســن ســکــے۔
تــکــبــیــر کــے بــعــد فــوراًن ســنا پــڑھــنا
اعــوذبــالــّلــه صــرف پــہــلــے مــیــں ہــی پــڑھــنـا۔
بــســم الــلَّــه ہـر رکــعـت کــے شــروع مــیــں پــڑھــنـا۔
مـــســلــکِ اعــلٰــی حــضــرت ســلامــت رہــیــں
ایــک پــہــچــان دیــن نــبــیﷺ کــے لــیــے.
جــمــاعــتِ رضــائــے مــصــطــفــے
........................................
नमाज़ का बयान
भाग : 09 से 62
नमाज़ की सुन्नते कितनी है और क्या सुन्नतो पर अमल करना ज़रूरी है ?
नमाज़ की तक़रीबन 96 सुन्नते है. सुन्नतो का करना ज़रूरी है और करने वाला अजर-ओ-सवाब पायेगे. सुन्नत के बगैर नमाज़ कामिल नही होगी और नमाज़ का सवाब भी कम हो जायेगा. सुन्नत को जान बुज कर छोड़ने वाला शरीअत की नज़र में बहुत बुरा है. सुन्नत को हमेशा छोड़ने की आदत डालने वाला अज़ाब का हक़दार है.
तक्बिर-ए-तेहरीमा की सुन्नते
तक्बिर-ए-तेहरीमा के लिये हाथ उठाना.
हाथो की उँगलिया अपने हाल पर छोड़ना. ना कडक करे ना बिल्कुल मिलाएँ
हतेलियो और उँगलियो का पैठ का रुख क़िब्ले की तरफ़ होना.
तक्बीर केह्ते वक़्त सर को ना झुकाना.
तक्बीर शूरू करने से पहले ही दोनो हाथ कानो तक उठा लेना.
तक्बीर-ए-क़्नूत और दोनो ईदो में भी इस ही तरह करे.
इमाम का उंची आवाज़ से
अल्लाहू अकबर
समी-अल्लाहू-लिमन हमिदा
और सलाम केहना .
तक्बीर के बाद फ़ौरन हाथ बाँध लेना.
क़याम की सून्नत मर्द नाफ़ के नीचे हाथ बाँधे.
दाये हाथ की हेतेली बाये हाथ की कलायी के जोइंट पर छोटी उँगली और अँगूठे से कलायी पकड़ ले और बाकी तीन ( 3 ) उँगलिया कलायी की पीठ पर . पेहल सना फिर आओज़ूबिल्लाह और बिस्मिल्लाह पढ़ना और तीनो को एक के बाद एक फ़ौरन केहना और सब को इतनी आवाज़ से पढ़ना के खुद सून सके.
आमीन कहना और आहिस्ता कहना
तक्बीर के बाद फ़ौरन सना पढ़ना
आओज़ूबिल्लाह सिर्फ पहली रकाअत में ही पढ़ना
बिस्मिल्लाह हर रकाअत के शुरू में पढ़ना.
मस्लक-ए-आला हजरत सलामत रहे
एक पेह्चान दीन-ए-नबीﷺ के लिये
जमाअत रजा-ए-मुस्तफा
........................................
NAMAAZ KA BAYAAN
PART : 09 OF 62
NAMAAZ KI SUNNATE KITNI HAI AUR KYA SUNNATO PAR AMAL KARNA ZAROORI HAI ?
NAMAAZ KI TAQRIBAN 96 SUNNATE HAI. SUNNATO KA KARNA ZAROORI HAI AUR KARNE WALA AJAR-O-SAWAAB PAAYEGA. SUNNAT K BAGAIR NAMAAZ KAAMEL NAHI HOGI AUR NAMAAZ KA SAWAB BHI KAM HO JAYEGA. SUNNAT KO JAAN BUJJ KAR CHODNE WALA SHARI'AT KI NAZAR MEIN BAHUT BURA HAI. SUNNAT KO HAMESA CHODNE KI AADAT DAALNE WALA AZAAB KA HAQDAAR HAI.
TAKBIR-E-TAHRIMAH KI SUNNATE
TAKBIR-E-TAHRIMAH K LIYE HAATH UTHANA.
HAATHO KI UNGLIYA APNE HAAL PAR CHODNA. NA KADAK KARE NA BILKUL MILAYE
HATHELIYO AUR UNGLIYO KA PAIT KA RUKH QIBLE KI TRAF HONA.
TAKBEER KEHTE WAQT SIR KO NA JHUKANA.
TAKBEER SHURU KARNE SE PEHLE HE DONO HAATH KAANO TAK UTHA LENA.
TAKBIR-E-QUNOOT AUR DONO EIDO MEIN BHI IS HE TRAH KARE.
IMAAM KA UNCHI AAWAAZ SE
ALLAHU AKBAR
SAMI-ALLAHU-LIMAN HAMIDA
AUR SALAAM KEHNA.
TAKBEER K BAAD FORAN HAATH BANDH LENA.
QEYAAM KI SUNNATE MARD NAAF K NICHE HAATH BAANDHE.
DAAYE HATH KI HATHELI BAAYE HATH KI KALAYI K JOINT PAR CHOTI UNGLI AUR ANGUTHE SE KALAYI PAKAD LE AUR BAAKI TEEN ( 3 ) UNGLIYA KALAYI KI PEETH PAR PEHLE SANA PHIR AOOZUBILLAH AUR BISMILLAH PADHNA AUR TEENO KO EK K BAAD EK FORAN KEHNA AUR SAB KO ITNI AAWAAZ SE PADHNA K KHUD SOON SAKE.
AMEEN KEHNA AUR AAHISTA KEHNA
TAKBEER K BAAD FORAN SANA PADHNA
AOOZUBILLAH SIRF PEHLI RAKA'AT MEIN HE PADHNA
BISMILLAH HAR RAKA'AT K SHURU MEIN PADHNA.
MASLAK-E-AALA HAZRAT SALAMAT RAHE
EK PEHCHAN DEEN-E-NABIﷺ K LIYE
🚨 طالِبِ دُعا:-
جماعت رضا ء مصطفے ﷺ ٰ باندرہ (ممبئی)
🚨Jamat Raza E Mustafa ﷺ Bandra(Mumbai)