Unknown

Namaz Ka Bayan Part~7

نـــمــاز کـا بــیــان

حــصّــہ 7 ســے 62

نــمــاز مــیــں کــتــنــے واجــبــات ہــے ؟
واجـــب کـســے کــہــتــے ہــے؟

واجــب یــعــنــی وہ کــام جــن کــو کــرنــا نــمــاز کــو صــحــیــح کــرنــے کــے لــیـے ضــروری ہــے اگـر کــوئــی نــمــازی واجــبــات مــیــں ســے ایــک واجــب بھــول جــائــے کــو ســجــدہ ســہــو کــرنــا واجــب ہــوگــا اور ســجــدہ ســہــو کــر لــیــنــے ســے نــمــاز ہــو جــائــیــنــگــی اور ســجــدہ ســہــو کــرنــا بھــی بھــول گــیــا تــو نــمــاز پہــر ســے پــڑھــنــی ہــوگــی اگــر کــوئــی واجــب بھــی جــان بــوج کـر چھــوڑ دیــا تــو ســجــدہ ســہــو کــرنــے ســے بھــی نــمــاز نــا ہــوگــی نــمــاز کــو پہــر ســے پــڑھــنـا واجــب ہــوگــا۔

ســجــدے ســہــو کــیــســے کــرتــے ہــے؟


کــســی بھــی نــمــاز کــی آخــری رکــعــت مــیــں اتــتــحــیــات کــے لـیــے جــب بــیــٹھــے تــو پــوری اتــتــحــیــات کــے بــعــد ایــک ســلام یــعــنــی دائــيــں کــنــدھــے کی طــرف مــنــہ پھــيــر کــر ســلام پھــيــرے اور پہــر دو ســجــدے کــرے اســں کــو ســجــدے ســہــو کــہــتــے ہــے اســں کــے بــعــد پھــر ســے اتــتــحــیــات درود ابــراہــیــم دعــائــے مــاشــورہ پــڑھــے اور دونــوں ســلام پھــيــر دے۔
نــمــاز کــے واجــبــات یــہ ہــے۔
تــکــبــیــرہ تــحــریــمــہ مــیــں لــفــظ الــلّــه اکــبــر کــہــنــا ۔ ســورہ فــاتــحــہ پــڑھــنـا ایــک لــفــظ بھــی نا چــوٹھــے اســں کــے بــعــد بھــی بــڑی آیــت یــہ 3 تــیــن پــڑھــنــا۔ فــرضــں نــمــاز کــی پہــلــی 2 دو رکــعــت مــیــں ســورہ فــاتــحــہ کــے ســاتھ دوســری آیــات ِ بھــی پــڑھــنــا ۔ نــفــل ســنــنت اور وتـر کـی ہــر رکـعــت مـیــں بھــی ســورہ فــاتــحــہ کــے بــعــد دوســری آیــت پــڑھــنــا ســورہ فــاتــحــہ کــو پہــہــلــے پــڑھـنــا پھــر آیــت پــڑھــنــا۔ ســورہ فــاتــحــہ ایــک بــار ہــی پــڑھــنــا۔ پہــر آیــت پــڑھــنــا ســورہ فــاتــحــہ کــے بــعــد آمــیــن کــہــنــا ســورہ فــاتــحــہ اور دوســری آیــتــوں کــے بــعــد فــوراًن رکــوع کــرنــا دیــر نــا کــرنــا۔

قــومــہ :- مــطــلــب رکــوع کــے بــعــد ســیــدھــا کھــڑے ہــونــا ہــر رکــعــت مــیــں صــرف ایــک ہــی رکــوع ہــونــا ایــک ســجــدے کــے بــعــد دوســرا ســجــدہ فــوراًن کــرنــا دیــر نــا کــرنـا ســجــدے مــیــں دونــوں پــیــروں کــی کــم سـے کــم تــیــن تــیــن اُنــگــلــیـوں کـے پـيـٹ زمــیــن ســے لــگــنــا کھــڑے ہــونــے مــیــں اُنــگــلــیــوں کــا حــصــہ زمــیــن ســے لــگــتــا ہــے اســے پــيــٹ کــہــتــے ہــے

جــلــســہ :- مــطــلــب دونــوں ســجــدے کــے بــیــچ مــیــں ســیــدھــا ہــو کــر بــیــٹھــنــا ہــر رکــعــت مــیــں دو 2 ہــی ســجــدے ہــونــا دو 2 ســے زیــادہ نــا ہــو۔
تــعــادل ارکــان :- مــطــلــب رکــوع ســجــدے قــومــہ جــلــســہ ان ســب کــے بــیــچ مــیــں کــم از کــم ایــک بــار ســبــحــان الــلّــه کــہــا جــا ســکــے۔ اتــنــی دیــر رکــنــا دوســری رکــعــت ســے پــہــلــے اتــتــحــیــات کــے لــیــے نــا بــیــٹھــنــا نــفــل مــیــں بھــی 2 رکــعــت پــہــلــے اتــتــحــیــات کــے لــیــے نــا بــیــٹھــنــا 2 رکــعــت کــے بــعــد بھــی اور چــار رکــعــت کــے بــعــد بھــی اتــتــحــیــات پــورا پــڑھــنــا فــرضــں وتــر ســنّــت مــوکــدہ ان ســب نــمــازوں کــے 2 رکــعــت پــر بــیــٹھ کــر پــوری اتــتــحــیــات ســے زیــادہ کــچھ بھــی نــا پــڑھــنــا 4 رکــعــت والــی نــمــاز مــیــں تــیــســری پــر دو 2 ســجــدوں کــے بــعــد چــوتھــی رکــعــت کــے لــیــے کھــڑا ہــو جــانــا ہــر ظــہــری نــمــاز مــیــں امــام کــا زور ســے قـــرآت کــرنــا ہــر ســرّی نــمــاز مــیــں امــام کــا آہــســتــہ یــعــنــی دهــیــرے ( اتــنــی آواز کــے خــود ســن ســکــے ) قــــرآت کــرنــا وتــر مــیــں تــیــســری رکـعــت مــیــں ســورہ فــاتــحــہ اور دوســری آیــت پــڑھــنــے کــے بــعــد دعــائـے قــنــوت کــی تــکــبــیــر یــعــنــی الــلّــه اکــبــر کــہــنــا وتــر مــیــں دعــائــیــں قــنــوت پــڑھــنــا آیــت ســجــدہ پــڑھــی ہــو تــو ســجــدے تــلاوت کــرنــا غــلــطــی ہــوئــی ہــو تــو ســجــدے ســہــو کــرنــا ہــر فــرضــں اور ہــر واجــب کــا اســں کــی جــگــہ پــر ہــونــا دو فــرضــں واجــب یــا واجــب اور فــرضــں کــے بــیــچ مــیــں اتــنــا نــا رکــنــا کــے 3 بــار ســبــحــان الــلّــه کــہ لــے جــب بھــی اور جــســں نــمــاز مــیــں بھــی چــاہــیــے ســرّی ہــو یــا جــہــری اونــچـی آواز ســے ہــو یــا آہــســتــہ جــب بھــی امــام قـــرآت کــرے تــو مــقــتــدی کــو چــپ رہــنــا قــرآت کــے ســوا تــمــام واجــبــات امــام کــے ســاتھ مــقــتــدی کــو بھــی ادا کــرنــا دونــوں ســلام پھــيــرنــا۔

مـــســلــکِ اعــلٰــی حــضــرت ســلامــت رہــیــں

ایــک پــہــچــان دیــن نــبــیﷺ کــے لــیــے.

جــمــاعــتِ رضــائــے مــصــطــفــے
नमाज़ का बयान

भाग : 07 से 62

नमाज़ में कितने वाजिबात है ?
वाजिब किसे केह्ते है ?

वाजिब यानी वो काम जिन को करना नमाज़ को सही करने के लिये ज़रूरी है. अगर कोई नमाज़ी वाजिबात में से एक वाजिब भी भूल जाये तो सज्दा-ए-साहुव करना वाजिब होगा और सज्दा-ए-साहूव कर लेने से नमाज़ हो जायेगी और सज्दा-ए-साहुव करना भी भुल गया तो नमाज़ फिर से पढ़नी होगी अगर कोई एक वाजिब भी जान-बुज कर छोड़ दिया तो सज्दा-ए-साहुव करने से भी नमाज़ ना होगी. नमाज़ को फिर से पढ़ना वाजिब होगा.

सज्दा-ए-साहुव कैसे करते है ?

किसी भी नमाज़ की आखरी रकाअत में अत्तहियात के लिये जब बैठे तो पूरी अत्तहियात के बाद एक सलाम यानी डाये कंधे की तरफ़ मुँह फेर कर सलाम फेरे और फिर दो सज्दे करे इस को सज्दा-ए-साहुव केह्ते है इस के बाद फिर से अत्तहियात, दरूद-ए-इब्राहिम , दुआ-ए-मासुराह पढ़े और दोनो सलाम फेर दे.

नमाज़ के वाजिबात ये है.
तक्बीर-ए-तेहरीमा में लफ्ज़ अल्लाहू अकबर केह्ना
सुरेह-ए-फातिहा पढ़ना एक लफ्ज़ भी ना छूटे इस के बाद एक बड़ी आयात या तीन चौथी आयात पढ़ना .
फर्ज़ नमाज़ की पेह्ली दो रकाअत में सुरेह फातिहा के साथ दूसरी आयात भी पढ़ना. नफिल सुन्नत और वित्र की हर रकाअत में भी सुरेह फतिया के बाद दूसरी आयात पढ़ना. सुरेह फतिया को पेह्ले पढ़ना फिर आयात पढ़ना.
सुरेह फातिहा एक बार ही पढ़ना. फिर आयात पढ़ना. सुरेह फातीया के बाद अमीन केह्ना. सुरेह फातिहा और दूसरी आयतो के बाद फ़ौरन रूकू करना. देर ना करना.

क़ौमा : मतलब रूकू के बाद सीधा खड़े होना हर रकाअत में सर्फ एक ही रूकू होना . एक सज्दे के बाद दूसरा सज्दा फ़ौरन करना. देर ना करना. सज्दे में दोनो पैरो की कम से कम 3 3 उँगलियो के पैट ज़मीन से लगना. खड़े होने में उँगलियो का जो हिस्सा ज़मीन से लगता है उसे पैट केह्ते है.

जल्सा : मतलब दोनो सज्दो के बीच में सीधा हो कर बैठना हर रकाअत में दो ही सज्दे होना. दो से ज़्यादा ना हो.

तादिल-ए-अर्कान : मतलब रूकू सज्दे क़ौमा जल्सा इन सब के बीच में कम-अज़-कम एक बार सुबान अल्लाह कहा जा सके. देर रुकना दूसरी रकाअत से पेह्ले अत्तहियात के लिये ना बैठना नाफिल में भी दो रकाअत से पेह्ले अत्तहियात के लिये ना बैठना दो रकाअत के बाद भी और चार रकाअत के बाद भी अत्तहियात पूरा पढ़ना फर्ज़ , वित्र-ए-सुन्नते मुआकीदा इन सब नमाज़ो के दो रकाअत पर बैठ कर पूरी अत्तहियात से ज़्यादा कुछ भी ना पढ़ना 4 रकाअत वाली नमाज़ में तीसरी पर दो सज्दो के बाद चौथी रकाअत के लिये खड़े हो जाना. हर जेहरी नमाज़ में इमाम का ज़ोर से क़ीरत करना हर सिर्री नमाज़ में इमाम का आहिस्ता यानी धीरे ( इतनी आवाज़ के खुद सून सके ) क़ीरत करना वित्र में तीसरी रकाअत में सुरेह फातीया और के आयात पढ़ने के बाद दुआ-ए-क़ूनूत की तक्बीर यानी अल्लाहू अकबर केह्ना वित्र में दुआ-ए-क़ूनूत पढ़ना आयात-ए-सज्दा पढ़ी हो तो सज्दा-ए-तिलावट करना.
गलती हुवी हो तो सज्दा-ए-साहुव करना हर फर्ज़ और हर वाजिब का उस की जगाह पर होना दो फर्ज़. दो वाजिब. या वजिब और फर्ज़ के बीच में इतना ना रुकना के तीन बार सुबान अल्लाह केह्ले जब भी और जिस नमाज़ में भी चाहे सिर्री हो या जेहरी उंची आवाज़ से हो या आहिस्ता जब भी इमाम क़ीरत करे तो मुक़्तदी को चुप रेह्ना. क़ीरत के सिवा तमाम वाजिबात इमाम के साथ मुक़्तदी को भी अदा करना. दोनो सलाम फेरना.

मस्लक-ए-आला हजरत सलामत रहे

एक पेह्चान दीन-ए-नबीﷺ के लिये

जमाअत रजा-ए-मुस्तफा

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NAMAAZ KA BAYAAN

PART : 07 OF 62

NAMAAZ MEIN KITNE WAAJIBAAT HAI ?
WAAJIB KISE KEHTE HAI ?

WAAJIB YAANI WO KAAM JIN KO KARNA NAMAAZ KO SAHIH KARNE K LIYE ZAROORI HAI. AGAR KOI NAMAAZI WAAJIBAAT MEIN SE EK WAAJIB BHI BHUL JAYE TOH SAJDA-E-SAHUW KARNA WAAJIB HOGA AUR SAJDA-E-SAHUW KAR LENE SE NAMAAZ HO JAYEGI AUR SAJDA-E-SAHUW KARNA BHI BHUL GAYA TOH NAMAAZ PHIR SE PADHNI HOGI AGAR KOI EK WAAJIB BHI JAAN-BUJJ KAR CHOD DIYA TOH SAJDA-E-SAHUW KARNE SE BHI NAMAAZ NA HOGI. NAMAAZ KO PHIR SE PADHNA WAAJIB HOGA.

SAJDA-E-SAHUW KAISE KARTE HAI ?

KISI BHI NAMAAZ KI AAKHRI RAKA'AT MEIN ATTAHIYAAT K LIYE JAB BAITHE TOH POORI ATTAHIYAAT K BAAD EK SALAAM YAANI SIDHE KANDHE KI TRAF MUNH PHER KAR SALAM PHERE AUR PHIR DO SAJDE KARE IS KO SAJDA-E-SAHUW KEHTE HAI IS K BAAD PHIR SE ATTAHIYAAT, DAROOD-E-IBRAAHIM , DUA-E-MAASURAH PADHE AUR DONO SALAAM PHER DE.

NAMAAZ K WAAJIBAAT YE HAI.
TAKBEER-E-TAHRIMA MEIN LAFZ ALLAHU AKBAR KEHNA
SURAH-E-FATHIYA PADHNA EK LAFZ BHI NA CHHUTE IS K BAAD EK BADHI AAYAT YA TEEN ( 3 ) CHOTI AAYAT PADHNA
FARZ NAMAAZ KI PEHLI DO ( 2 ) RAKA'AT MEIN SURAH FATHIYA K SATH DUSRI AAYATE BHI PADHNA. NAFL SUNNAT AUR WITAR KI HAR RAKA'AT MEIN BHI SURAH FATHIYA K BAAD DUSRI AAYATE PADHNA. SURAH FATHIYA KO PEHLE PADHNA PHIR AAYATE PADHNA.
SURAH FATHIYA EK BAAR HE PADHNA. PHIR AAYATE PADHNA. SURAH FATHIYA K BAAD AMEEN KEHNA. SURAH FATHIYA AUR DUSRI AAYATO K BAAD FORAN RUKU KARNA. DHER NA KARN.
QOUMA : MATLAB RUKU K BAAD SIDHA KHADE HONA HAR RAKAT MEIN SIRF EK HE RUKU HONA. EK SAJDE K BAAD DUSRA SAJDA FORAN KARNA. DHER NA KARNA. SAJDE MEIN DONO PAIRO KI KAM SE KAM 3 3 UNGLIYO K PAIT ZAMEEN SE LAGNA. KHADE HONE MEIN UNGLIYO KA JO HISSA ZAMEEN SE LAGTA HAI USHE PAIT KEHTE HAI.
JALSA : MATLAB DONO SAJDO K BICH MEIN SIDHA HO KAR BAITHNA HAR RAKA'AT MEIN DO ( 2 ) HE SAJDE HONA. DO ( 2 ) SE ZAYADA NA HO.
TAADIL-E-ARKAAN : MATLAB RUKU SAJDE QOUMA JALSA IN SAB K BEECH MEIN KAM-AZ-KAM EK BAAR SUBHAN ALLAH KAHA JAA SAKE. ITNI DHER RUKNA DUSRI RAKA'AT SE PEHLE ATTAHIYAAT K LIYE NA BAITHNA NAFL MEIN BHI DO ( 2 ) RAKAA'T SE PEHLE ATTAHIYAAT K LIYE NA BAITHNA DO ( 2 ) RAKA'AT K BAAD BHI AUR CHAAR RAKA'AT K BAAD BHI ATTAHIYAAT POORA PADHNA FARZ , WITR-E-SUNNATE MUAKKADA IN SAB NAMAAZO K DO ( 2 ) RAKA'AT PAR BAITH KAR POORI ATTAHIYAAT SE ZAYADA KUCH BHI NA PADHNA 4 RAKA'AT WALI NAMAAZ MEIN TEESRI PAR DO ( 2 ) SAJDO K BAAD CHOTHI RAKA'AT K LIYE KHADE HO JANA. HAR JAHRI NAMAAZ MEIN IMAAM KA ZORR SE QEERAT KARNA HAR SIRRI NAMAAZ MEIN IMAAM KA AAHISTA YAANI DHIRE ( ITNI AWAAZ K KHUD SOON SAKE ) QEERAT KARNA WITR MEIN TEESRI RAKA'AT MEIN SURAH FATHIYA AUR DUSRI AYAAT PADHNE K BAAD DUA-E-QUNOOT KI TAKBIR YAANI ALLAHU AKBAR KEHNA WITAR MEIN DUA-E-QUNOOT PADHNA AAYAAT-E-SAJDA PADHI HO TOH SAJDA-E-TILAAWAT KARNA.
GALTI HUWI HO TOH SAJDA-E-SAHUW KARNA HAR FARZ AUR HAR WAAJIB KA US KI JAGA PAR HONA DO ( 2 ) FARZ. DO ( 2 ) WAAJIB. YA WAJIB AUR FARZ K BEECH MEIN ITNA NA RUKNA K 3 BAAR SUBHAN ALLAH KEHLE JAB BHI AUR JISS NAMAAZ MEIN BHI CHAHE SIRRI HO YA JAHRI UNCHI AWAAZ SE HO YA AAHISTA JAB BHI IMAAM QEERAT KARE TOH MUQTADI KO CHUP REHNA. QEERAT K SIWA TAMAM WAJIBAAT IMAAM K SATH MUQTADI KO BHI AADA KARNA. DONO SALAAM PHERNA.

MASLAK-E-AALA HAZRAT SALAMAT RAHE

EK PEHCHAN DEEN-E-NABIﷺ K LIYE

طالِبِ دُعا:-
جماعت رضا ء مصطفے ﷺ ٰ باندرہ (ممبئی)
Jamat Raza E Mustafa ﷺ Bandra (Mumbai)