نــمــاز کـا بــیــان
حــصّــہ 5 ســے 62
3 ) نــمــاز کـا تــیــســرا فــرضــں قــرآت ( قــرآن مــجــیــد ) کــو اســں طــرح پــڑھــنــا کــے تــمــام حــروف اپــنــے مکہــرج ســے صــحــیــح طـــور پــر ادا ہــو (ج' ذ ز ض) اپــنــی اپــنــی جــگــہ ســے ادا ہــو اتــنــی صــاف طــور پــر پــڑھــی جــائــے کــے ســنــنــے والا ســمــجھ لــے کــے کــونــســا حــروف پــڑھــا کــم از کــم اتــنــی آواز ســے پــڑھــے کــے خــود ســن لــے۔
نــمــاز مــیــں یــہ نــمــاز ســے بــاہــر جــو بھــی چــیــز پــڑھـنــی ہــو اتــنــی آواز ســے ہــی پــڑھــنــی چــاہــیــے کــہ خــود ســن لــے فــرضــں کــی 2 رکــعــتــوں مــیــں وتــر ســنّــت نــفــل کــی ہــر رکــعــت مــیــں کــم از کــم ایــک آیــت پــڑھــنــا فـــرضــں ہــے امــام کــے پــیــچھــے پــڑھــنــے والــے کــو قــرآت جــائــز نــہــیـں ہــے نــا ہــی ســورہ فــاتــحــہ اور نــا ہــی کــوئــی ســورہ نــا ہــی سِــرّی مــیــں نــا ہــی جہــری مــیــں سِــرّی مــطــلــب دهــيــمــی آواز ســے پــڑھ جــانــے والــی نــمــازیــں جــیــســے ظــہــر اور عــصــر کــی نــمــازیــں۔
جــہــری مــطــلــب اونــچــی آواز ســے پــڑھــی جــانــے والــی نــمــازیــں جــیــســے فــجــر مــغــرب عــشــاء کــی نــمــازیــں۔
4 )نــمــاز کـا چــوتھــا فــرضــں رکــوع۔
اتـنــا جھُــکــنــا کــے ہــاتھ گــٹھــنــے تــک پــہــنــچ جــائــے یــہ رکــوع کـا ادنــہ درجــہ ہــے یــعــنــی کــم ســے کــم اور پــورا یــہ کــہ پــیــٹھ کــو ســیــدھــی بــیــچھــادے۔
حــضــورﷺ نــے فــرمــایــا الــلّــه بــنــدے کــی اســں نــمــاز کــی طــرف نــظــر نــہـیــں فــرمــاتــا جــســں مــیــں رکــوع اور ســجــود کــے بــــیــچ مــیــں پــیــٹھ ســیــدھــی نــا کــرے۔
وہ حــضــرت جــو اتــاول کــی وجــہ ســے رکــوع مــیــں پــیــٹھ ســیــدھــی نــہــیــں کــرتــے اســں حــدیــث کــو پــڑھ کــر اپــنــی اصــلاح کــرے اور کــچھ لــوگ رکــوع ســے پــورا اُٹھـــے بــغــیـر ســجــدے مــیــں چــلــے جــاتــا ہــے ایــســا کــرنــے ســے ان کـا واجــب چھــوٹ جــاتــا ہــے رکــوع اور ســجــدے کــے بــیــچ مــیــں ســیــدھــے کھــڑے ہــونــا اتـنــی دیــر کــے ایــک مــرتــبــہ ســبحــان الــلّــه کــہــے ســکــے روکــنــا واجــب ہــے نــمــاز مــیــں جــب بھــی واجــب چھــوٹ جــائــيــنــگی ســجــدے ســہــو بھــی وأجــب ہــے اور ســجــدے ســہــو نــہـیــں کــیــا تــو نــمــاز کــو پهــرســے پــڑھــنــا ہــوگـا۔
مـــســلــکِ اعــلٰــی حــضــرت ســلامــت رہــیــں
ایــک پــہــچــان دیــن نــبــیﷺ کــے لــیــے.
جــمــاعــتِ رضــائــے مــصــطــفــے
नमाज़ का बयान
भाग : 05 से 62
3 - नमाज़ का तीसरा फर्ज़ क़ीरत क़ूरान-ए-मजीद को इस तराह पढ़ना के तमाम हूरूफ अपने मख्रज से सही तौर पर अदा हो. जैसे जीम , ज़ाल , ज़े , दुआड़ , ज़ो , अपनी अपनी जगाह से अदा हो. इतनी साफ तौर पर पढ़ा जाये के सून्ने वाला समझ ले के कोनसा हूरूफ पढ़ा. कम-अज़-कम इतनी आवाज़ से पढ़े के खुद सून ले.
नमाज़ में या नमाज़ से बाहर इतनी आवाज़ से ही पढ़नी चाईऐ के खुद सून ले. फर्ज़ की 2 रकाअतो में वित्र , सुन्नत , नफ्लि कि हर रकाअत में कम-अज़-कम एक आयात पढ़ना फर्ज़ है. ईमाम के पीछे पढ़ने वाले को क़ीरत जाईज़ नही. नाही सुरेह फातिया नही कोई सुरेह. नही सिर्री में नही जाहरी में. सिर्री मतलब धिमी आवाज़ से पढ़े जाने वाली नमाज़े. जैसे ज़ुहर और असर की नमाज़े.
जाहरी मतलब उंची आवाज़ से पढ़ी जाने वाली नमाज़े जैसे फज्र मग्रीब इशा की नमाज़े
4 - नमाज़ का चोथा फर्ज़ रूकू. इतना झुकना के हाथ घुटनो तक पाहोच जाये. ये रूकू का अद्ना दर्जा है यानी कम से कम और पूरा ये है के पीठ को सीधा बिछा दे
हुज़ूर ﷺ ने फरमाया अल्लाह बन्दे की उस नमाज़ की तरफ नज़र नही फरमाता जिस में रूकू और सुजूद के बीच में पीठ सीधी ना करे.
वो हज़्रात जो उतावल की वजेह से रूकू में पीठ सीधी नही करते इस हदीस को पढ़ कर अपनी इस्लाह करे और कुछ लोग रूकू से पूरा उठे बगैर सज्दे में चले जाते है ऐसा करने से उन का वाजिब छुट जाता है. रूकू और सज्दे के बीच में सीधे खड़े होना. इतनी देर के एक मर्तबा सुभान अल्लाह केह सके रुकना वजिब है. नमाज़ में जब भी वाजिब छूतेगा सज्दा-ए-साहुव भी वजिब है और सज्दा-ए-साहुव नही किया तो नमाज़ को फिर से पढ़ना होगा
मस्लक-ए-आला हजरत सलामत रहे
एक पेह्चान दीन-ए-नबीﷺ के लिये
NAMAAZ KA BAYAAN
PART : 05 OF 62
3 - NAMAAZ KA TEESRA FARZ QIRAT QURAAN-E-MAJEED KO IS TARAH PADHNA K TAMAM HURUF APNE MAKHRAJ SE SAHI TAUR PAR AADA HO. JAISE JEEM , ZAAL , ZE , DU'AD , ZO , APNI APNI JAGAH SE AADA HO. ITNI SAAF TAUR PAR PADHE JAYE K SUNNE WALA SAMAJ LE K KONSA HARF PADHA. KAM-AZ-KAM ITNI AWAAZ SE PADHE K KHUD SOON LE.
NAMAAZ MEIN YA NAMAAZ SE BAHAR JO BHI CHEEZ PADHNI HO ITNI AWAAZ SE HE PADHNI CHAIYE K KHUD SOON LE. FARZ KI 2 RAKA'ATO MEIN WITAR , SUNNAT , NAFL KI HAR RAKA'AT MEIN KAM-AZ-KAM EK AYAAT PADHNA FARZ HAI. IMAAM K PICHE PADHNE WALE KO QEERAT JA'IZ NAHI. NAHI SOOREH FATHIYA AUR NAHI KOI SUREH. NAHI SIRRI MEIN NAHI JAHRI MEIN. SIRRI MATLAB DHIMI AWAAZ SE PADHI JAANE WALI NAMAAZE. JAISE ZUHAR AUR ASAR KI NAMAAZE.
JAHRI MATLAB UNCHI AWAAZ SE PADHI JANE WALI NAMAAZE JAISE FAJR MAGREEB ISHA KI NAMAAZE
4 - NAMAAZ KA CHOTHA FARZ RUKU. ITNA JHUKNA K HAATH GHUTNO TAK PAHONCH JAYE. YE RUKU KA ADNA DARJA HAI YAANI KAM SE KAM AUR POORA YE HAI K PEETH KO SIDHI BICHA DE
HUZOOR ﷺ NE FARMAYA ALLAH BANDE KI US NAMAAZ KI TARAF NAZAR NAHI FARMATA JISS MEIN RUKU AUR SUJOOD K BICH MEIN PEETH SIDHI NA KARE.
WO HAZRAAT JO UTAAWAL KI WAJEH SE RUKU MEIN PEETH SIDHI NAHI KARTE IS HADEES KO PADH KAR APNI ISLAH KARE AUR KUCH LOG RUKU SE POORA UTHE BAGAIR SAJDE MEIN CHALE JATE HAI AISA KARNE SE UN KA WAAJIB CHHUTH JATA HAI. RUKU AUR SAJDE K BEECH MEIN SIDHE KHADE HONA. ITNI DHER K EK MARTABA SUBHAN ALLAH KEH SAKE RUKNA WAAJIB HAI. NAMAAZ MEIN JAB BHI WAAJIB CHHUTHEGA SAJDA-E-SAHU BHI WAAJIB HAI AUR SAJDA-E-SAHU NAHI KIYA TOH NAMAAZ KO PHIR SE PADHNA HOGA
MASLAK-E-AALA HAZRAT SALAMAT RAHE
EK PEHCHAN DEEN-E-NABIﷺ K LIYE
طالِبِ دُعا:-
جماعت رضا ء مصطفے ﷺ ٰ باندرہ (ممبئی)
Jamat Raza E Mustafa ﷺ Bandra (Mumbai)
حــصّــہ 5 ســے 62
3 ) نــمــاز کـا تــیــســرا فــرضــں قــرآت ( قــرآن مــجــیــد ) کــو اســں طــرح پــڑھــنــا کــے تــمــام حــروف اپــنــے مکہــرج ســے صــحــیــح طـــور پــر ادا ہــو (ج' ذ ز ض) اپــنــی اپــنــی جــگــہ ســے ادا ہــو اتــنــی صــاف طــور پــر پــڑھــی جــائــے کــے ســنــنــے والا ســمــجھ لــے کــے کــونــســا حــروف پــڑھــا کــم از کــم اتــنــی آواز ســے پــڑھــے کــے خــود ســن لــے۔
نــمــاز مــیــں یــہ نــمــاز ســے بــاہــر جــو بھــی چــیــز پــڑھـنــی ہــو اتــنــی آواز ســے ہــی پــڑھــنــی چــاہــیــے کــہ خــود ســن لــے فــرضــں کــی 2 رکــعــتــوں مــیــں وتــر ســنّــت نــفــل کــی ہــر رکــعــت مــیــں کــم از کــم ایــک آیــت پــڑھــنــا فـــرضــں ہــے امــام کــے پــیــچھــے پــڑھــنــے والــے کــو قــرآت جــائــز نــہــیـں ہــے نــا ہــی ســورہ فــاتــحــہ اور نــا ہــی کــوئــی ســورہ نــا ہــی سِــرّی مــیــں نــا ہــی جہــری مــیــں سِــرّی مــطــلــب دهــيــمــی آواز ســے پــڑھ جــانــے والــی نــمــازیــں جــیــســے ظــہــر اور عــصــر کــی نــمــازیــں۔
جــہــری مــطــلــب اونــچــی آواز ســے پــڑھــی جــانــے والــی نــمــازیــں جــیــســے فــجــر مــغــرب عــشــاء کــی نــمــازیــں۔
4 )نــمــاز کـا چــوتھــا فــرضــں رکــوع۔
اتـنــا جھُــکــنــا کــے ہــاتھ گــٹھــنــے تــک پــہــنــچ جــائــے یــہ رکــوع کـا ادنــہ درجــہ ہــے یــعــنــی کــم ســے کــم اور پــورا یــہ کــہ پــیــٹھ کــو ســیــدھــی بــیــچھــادے۔
حــضــورﷺ نــے فــرمــایــا الــلّــه بــنــدے کــی اســں نــمــاز کــی طــرف نــظــر نــہـیــں فــرمــاتــا جــســں مــیــں رکــوع اور ســجــود کــے بــــیــچ مــیــں پــیــٹھ ســیــدھــی نــا کــرے۔
وہ حــضــرت جــو اتــاول کــی وجــہ ســے رکــوع مــیــں پــیــٹھ ســیــدھــی نــہــیــں کــرتــے اســں حــدیــث کــو پــڑھ کــر اپــنــی اصــلاح کــرے اور کــچھ لــوگ رکــوع ســے پــورا اُٹھـــے بــغــیـر ســجــدے مــیــں چــلــے جــاتــا ہــے ایــســا کــرنــے ســے ان کـا واجــب چھــوٹ جــاتــا ہــے رکــوع اور ســجــدے کــے بــیــچ مــیــں ســیــدھــے کھــڑے ہــونــا اتـنــی دیــر کــے ایــک مــرتــبــہ ســبحــان الــلّــه کــہــے ســکــے روکــنــا واجــب ہــے نــمــاز مــیــں جــب بھــی واجــب چھــوٹ جــائــيــنــگی ســجــدے ســہــو بھــی وأجــب ہــے اور ســجــدے ســہــو نــہـیــں کــیــا تــو نــمــاز کــو پهــرســے پــڑھــنــا ہــوگـا۔
مـــســلــکِ اعــلٰــی حــضــرت ســلامــت رہــیــں
ایــک پــہــچــان دیــن نــبــیﷺ کــے لــیــے.
جــمــاعــتِ رضــائــے مــصــطــفــے
नमाज़ का बयान
भाग : 05 से 62
3 - नमाज़ का तीसरा फर्ज़ क़ीरत क़ूरान-ए-मजीद को इस तराह पढ़ना के तमाम हूरूफ अपने मख्रज से सही तौर पर अदा हो. जैसे जीम , ज़ाल , ज़े , दुआड़ , ज़ो , अपनी अपनी जगाह से अदा हो. इतनी साफ तौर पर पढ़ा जाये के सून्ने वाला समझ ले के कोनसा हूरूफ पढ़ा. कम-अज़-कम इतनी आवाज़ से पढ़े के खुद सून ले.
नमाज़ में या नमाज़ से बाहर इतनी आवाज़ से ही पढ़नी चाईऐ के खुद सून ले. फर्ज़ की 2 रकाअतो में वित्र , सुन्नत , नफ्लि कि हर रकाअत में कम-अज़-कम एक आयात पढ़ना फर्ज़ है. ईमाम के पीछे पढ़ने वाले को क़ीरत जाईज़ नही. नाही सुरेह फातिया नही कोई सुरेह. नही सिर्री में नही जाहरी में. सिर्री मतलब धिमी आवाज़ से पढ़े जाने वाली नमाज़े. जैसे ज़ुहर और असर की नमाज़े.
जाहरी मतलब उंची आवाज़ से पढ़ी जाने वाली नमाज़े जैसे फज्र मग्रीब इशा की नमाज़े
4 - नमाज़ का चोथा फर्ज़ रूकू. इतना झुकना के हाथ घुटनो तक पाहोच जाये. ये रूकू का अद्ना दर्जा है यानी कम से कम और पूरा ये है के पीठ को सीधा बिछा दे
हुज़ूर ﷺ ने फरमाया अल्लाह बन्दे की उस नमाज़ की तरफ नज़र नही फरमाता जिस में रूकू और सुजूद के बीच में पीठ सीधी ना करे.
वो हज़्रात जो उतावल की वजेह से रूकू में पीठ सीधी नही करते इस हदीस को पढ़ कर अपनी इस्लाह करे और कुछ लोग रूकू से पूरा उठे बगैर सज्दे में चले जाते है ऐसा करने से उन का वाजिब छुट जाता है. रूकू और सज्दे के बीच में सीधे खड़े होना. इतनी देर के एक मर्तबा सुभान अल्लाह केह सके रुकना वजिब है. नमाज़ में जब भी वाजिब छूतेगा सज्दा-ए-साहुव भी वजिब है और सज्दा-ए-साहुव नही किया तो नमाज़ को फिर से पढ़ना होगा
मस्लक-ए-आला हजरत सलामत रहे
एक पेह्चान दीन-ए-नबीﷺ के लिये
NAMAAZ KA BAYAAN
PART : 05 OF 62
3 - NAMAAZ KA TEESRA FARZ QIRAT QURAAN-E-MAJEED KO IS TARAH PADHNA K TAMAM HURUF APNE MAKHRAJ SE SAHI TAUR PAR AADA HO. JAISE JEEM , ZAAL , ZE , DU'AD , ZO , APNI APNI JAGAH SE AADA HO. ITNI SAAF TAUR PAR PADHE JAYE K SUNNE WALA SAMAJ LE K KONSA HARF PADHA. KAM-AZ-KAM ITNI AWAAZ SE PADHE K KHUD SOON LE.
NAMAAZ MEIN YA NAMAAZ SE BAHAR JO BHI CHEEZ PADHNI HO ITNI AWAAZ SE HE PADHNI CHAIYE K KHUD SOON LE. FARZ KI 2 RAKA'ATO MEIN WITAR , SUNNAT , NAFL KI HAR RAKA'AT MEIN KAM-AZ-KAM EK AYAAT PADHNA FARZ HAI. IMAAM K PICHE PADHNE WALE KO QEERAT JA'IZ NAHI. NAHI SOOREH FATHIYA AUR NAHI KOI SUREH. NAHI SIRRI MEIN NAHI JAHRI MEIN. SIRRI MATLAB DHIMI AWAAZ SE PADHI JAANE WALI NAMAAZE. JAISE ZUHAR AUR ASAR KI NAMAAZE.
JAHRI MATLAB UNCHI AWAAZ SE PADHI JANE WALI NAMAAZE JAISE FAJR MAGREEB ISHA KI NAMAAZE
4 - NAMAAZ KA CHOTHA FARZ RUKU. ITNA JHUKNA K HAATH GHUTNO TAK PAHONCH JAYE. YE RUKU KA ADNA DARJA HAI YAANI KAM SE KAM AUR POORA YE HAI K PEETH KO SIDHI BICHA DE
HUZOOR ﷺ NE FARMAYA ALLAH BANDE KI US NAMAAZ KI TARAF NAZAR NAHI FARMATA JISS MEIN RUKU AUR SUJOOD K BICH MEIN PEETH SIDHI NA KARE.
WO HAZRAAT JO UTAAWAL KI WAJEH SE RUKU MEIN PEETH SIDHI NAHI KARTE IS HADEES KO PADH KAR APNI ISLAH KARE AUR KUCH LOG RUKU SE POORA UTHE BAGAIR SAJDE MEIN CHALE JATE HAI AISA KARNE SE UN KA WAAJIB CHHUTH JATA HAI. RUKU AUR SAJDE K BEECH MEIN SIDHE KHADE HONA. ITNI DHER K EK MARTABA SUBHAN ALLAH KEH SAKE RUKNA WAAJIB HAI. NAMAAZ MEIN JAB BHI WAAJIB CHHUTHEGA SAJDA-E-SAHU BHI WAAJIB HAI AUR SAJDA-E-SAHU NAHI KIYA TOH NAMAAZ KO PHIR SE PADHNA HOGA
MASLAK-E-AALA HAZRAT SALAMAT RAHE
EK PEHCHAN DEEN-E-NABIﷺ K LIYE
طالِبِ دُعا:-
جماعت رضا ء مصطفے ﷺ ٰ باندرہ (ممبئی)
Jamat Raza E Mustafa ﷺ Bandra (Mumbai)