Unknown

Namaz Ka Bayan Part~3

نــمــاز کـا بــیــان

حــصــہ 3 ســے 62

نــمــاز کــی اہــمــیــت :-
نــمــاز صــحــیــح طــریــقــے ســے نــا پـــڑهــنــے کـا انــجــام :-
امــام بــخــاری رحــمــت الــلّــه عــلــیــہ فــرمــاتــے ہــے حــضــرتِ ہــوجــيــفــا رضــی الــلّــه عــنــہ نــے ایــک شــخــصـں کــو دیـکــھــا کــے نــمــاز پــڑھــتــے ہــوئـے رکــوع ســجــدے پــوری ادا نــہــی کــرتــا تــو آپ نــے اســں ســے پــوچھــا کــے تــم کــب ســے اســں طــرح نــمــاز پــڑھــتــے ہــو ؟ اســں شــخــص نــے کــہــا 40 ســال ســے حــضــرت فا ہــوجــيــفــا رضــی الــلّــه عــنــہ سُــن کــرکــہــا تــم 40 ســال ســےنــمــاز پــڑھــی ہــی نـہــیــں اور اگــر اســں ہــی حــالــت
مــیــں تـــم کــو مــوت آگــئ تــو دیــن مــحــمــدیﷺ پــر نــہــیــں مــروگــیــں۔
مــفــہــوم حــدیــث لــوگــوں مــیــں بــدتــریــن چــور وہ ہــے جو اپــنــی نــمــاز مــیــں چــوری کــرے عــرض کــیـا گــیــا۔ یــا رســول الــلّــهﷺ نــمــاز کـا چــور کـون ہــے تــو
رســول الــلّــهﷺ نــے فــرمــایــا جــونــمــاز مــیــں رکــوع اور ســجــدے پــوری طــرح ادا نــا کــرے۔
مــفــتــی مــحــمّــد یـار خــان نـیـمــی رحــمــت الــلّــه عــلــیــہ اسـں حــدیــث کــے خــلاصــے مــیــں فــرمــاتــے ہــے مــعــلــوم ہــوا کــہ مــال کـا چــور ســے نــمــاز کـا چــور بــدتــر ہــے کـیــونــکــہ مــال کـا اگـر ســزا پــاتــا ہــے تــو کــچھ نــفــع بھــی حــاصــل کــرتــا ہــے مــگــر نــمــاز کـا چــور ســزا بھـی پــوری پـائـے گـا اور فــائــيــده بھــی کــچھ نــہـیـں ہـوگا
عِــبــرت:- يــه حــالــت تــو ان کــی ہــے جــو نــمــاز کــو اچھــی طــرح ســےنــہــیــں پــڑتــے اب ســوچ کــر صــحــیــح نــہــیــں پــڑهــتــے تــو یــہ انــجــام تــوجــو نـمــاز پــڑھــتــے ہــے نــہــیــں ان کــا انــجــام کــیــا ہــوگـا۔
الــلّــه ہــم ســب کــو 5 وقــت کــی نــمــازوں کــو ان کــے وقــتــوں پــر صــحــیــح طــرح ســے ادا کــرنــے کــی تــوفــیــق عــطــا فــرمــائــے۔ آمــیــن

مـــســلــکِ اعــلٰــی حــضــرت ســلامــت رہــیــں

ایــک پــہــچــان دیــن نــبــیﷺ کــے لــیــے.

جــمــاعــتِ رضــائــے مــصــطــفــے
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नमाज़ का बयान

भाग 3 से 62

नमाज़ का अहमीयत: -
नमाज़ सही तरीके से ना पढ़ने का अंजाम: -इमाम बुखारी رحــمــت الــلّــه عــلــیــہ फरमाते है हजरत-ए-हूजेफा رضــی الــلّــه عــنــہ ने एक शख्स को देखा के नमाज़ पढ़ते हुवे रूकू, सजदे, पूरे अदा नहीं करता. तोह आप ने उससे पूछा के तुम कब से इस तरह नमाज़ पढ़ते हो ? उस शख्स ने कहा 40 साल हजरत-ए-हूजेफा رضــی الــلّــه عــنــہ सून कर कहा तुम ने 40 साल स नमाज़ पढ़ी ही नहीं और अगर इस ही हलात में तुम को मौत आगयी तो दीन-ए-मुहम्मदीﷺ पर नहीं मरोगें .
मफ्हूम-ए-हदीस लोगों में सबसे बदतरीन चोर वो है जो अपनी नमाज़ में चोरी करे अर्ज़ किया गया या रसूल अल्लाहﷺ नमाज़ का चोर कौन है तो रसूल अल्लाहﷺ ने फरमाया जो नमाज़ में रुकू और सजदे पूरी तरह अदा ना करे। मुफ्ती मोहम्मद यार खान नईमी رحــمــت الــلّــه عــلــیــہ इस हदीस के खुलासे में फरमाते है मालूम हुवा के माल का चोर से नमाज़ का चोर बदतर है क्योंकि माल का अगर सज़ा पाता है तो कुछ नफा भी हासील करता है, मगर नमाज़ का चोर सजा भी पूरी पाएगा और फ़ाईदा भी कुछ नहीं होगा
ईबरत: - यह हालत तो उनकी है जो नमाज़ अच्छी तरह से नहीं पढ़ते अब सोच कर सही नहीं पढ़ते तो यह अंजाम तो जो नमाज़ पढ़ते ही नहीं उनका अंजाम क्या होगा।
अल्लाह हम सब को 5 वक़्त की नमाज़ो को उन के वक़्तो पर सही तरह से अदा करने की तोफीक़ अता फरमाऐ । आमीन

मस्लक-ए-आला हजरत सलामत रहे

एक पेह्चान दीन-ए-नबीﷺ के लिये

जमाअत रजा-ए-मुस्तफा

NAMAAZ KA BAYAAN

PART : 03 OF 62

NAMAAZ KI AHEMI'AT

NAMAAZ SAHI TAREEQE SE NA PADHNE KA ANJAAM

IMAAM-E-BUKHAARI رحمة الله عليه FARMATE HAI HAZRAT-E-HUZEFA رضي الله عنه
NE EK SHAKHS KO DEKHA K NAMAAZ PADHTE HUWE RUKU, SAJDE, POORE AADA NAHI KARTA. TOH AAP NE US SE PUCHA K TUM KAB SE IS TRAH NAMAAZ PADHTE HO ?
US SHAKS NE KAHA 40 SAAL SE
HAZRAT-E-HUZEFA رضي الله عنه SOON KAR KAHA TUM NE 40 SAAL SE NAMAAZ PADHI HE NAHI AUR AGAR IS HE HAALAT MEIN TUM KO MAUT AAGAYI TOH TOH DEEN-E-MUHAMMADI ﷺ PAR NAHI MAROGE.

MAFHUM-E-HADEES LOGO MEIN BADTAREEN CHOR WO HAI JO APNI NAMAAZ MEIN CHORI KARE ARZ KIYA GAYA.
YA RASOOLALLAH ﷺ NAMAAZ KA CHOR KON HAI.
TOH RASOOLALLAH ﷺ FARMAYA JO NAMAAZ MEIN RUKU AUR SAJDE POORI TARAH AADA NA KARE.

MUFTI AHMED YAAR KHAN NAIMI رحمة الله عليه IS HADEES K KHULASE MEIN FARMATE HAI MALOOM HUWA K MAAL K CHOR SE NAMAAZ KA CHOR BADTAR HAI. Q K MAAL KA CHOR AGAR SAZA PATA HAI TOH KUCH NAFA BHI HASHIL KARTA HAI. MAGAR NAMAAZ KA CHOR SAZA BHI POORI PAYEGA AUR FAI'DA BHI KUCH NAHI HOGA

IBRAT : YE HALAT TOH UN KI HAI JO NAMAAZ KO ACCHI TARAH SE NAHI PADHTE. AB SOCHO K SAHI NAHI PADHE TOH YE ANJAAM TOH JO NAMAAZ PADTE HE NAHI UN KA KYA HOGA.

ALLAH HUM SAB KO 5 WAQTO KI NAMAAZO KO UN K WAQTO PAR SAHI TRAH SE AADA KARNE KI TAUFIQUE AATA FARMAYE. AMEEN

MASLAK-E-AALA HAZRAT SALAMAT RAHE

EK PEHCHAN DEEN-E-NABIﷺ K LIYE