نــمــاز کــا بــیــان
حــصّــہ :- 2 ســے 62
نــمــاز کــی پــہــلــی شــرط طــہــارت:-
نــمــازی کـا بــدن کــپــڑے جــگــہ جــہــاں نــمــاز پــڑھ رہــا ہــے ان چــیــزوں کـا ہــر طــرح کــی نــاپــاکــی ســے پــاک ہــونــا ضــروری اســں کــو طــہــارت کــہــتــے ہــے۔
نــمــاز کــی دوســری شــرط ســتــرہ عــورت۔
مــرد کــے لــیــے نــاف کــے نــیــچــے ســے لــیــکر گــھٹــنــے تــک کــے ســاتھ یــہ بــدن کـا حــصــہ
چـــپــا ہــوا ہــونــا ضــروری ہــے۔
عــورت کــے لــیــے بــدن کــے 5 حــصّــے مــنــہ کــی ٹــکـلی دونــوں ہــتــھــیــلــی دونــوں پــیــروں کــے تــلــوے ان تــمــام چــیــز کــو چــهــوڑ کــر ســارا جــســم چــھــپــانــا لازم ہـــے۔ یــہ جــو حــصــہ چــھــپــانــے کــا حــکــم ہــے اگــر نــمــاز مــیــں نــظــر آئــے اتــنــا پــتــلا بــارک پــھــہــنــا ہــو تــو نــمــاز نــا ہــوگــی۔ ایــســا کــپــڑا جــســں ســے ران یــا ســطر کـا کـــوئى حــصــہ چــمــکــتــا ہــو ایــســا کــپــڑا عــورت کــو پــہــنـنــا حــرام ہــے ایــســا مــوٹــا جــاڑا کــپــڑا جــســں ســے بــدن کــا رنــگ نــا چــمــکــے مــگــر بــدن کــا ایــســا حــصــہ چــپــکــا ہــوا ہــو کــے دیــکــھـنــے ســے بــوڈی کــا آکــار ظــاہــر ہــوتــا ہــوں ایــســے کــپــڑے ســے نــمـــاز ہــو جــائــیــنــگــی مــگــر بــدن کـــے حــصــے کــی طــرف دوســروں کــو دیــکــھــنــا جــائــز نــہــیـں۔ ایــســے کــپــڑے لــوگــوں کــے ســامــنــے مــردوں کــو بــھــی پــہــنــنــا
مــنــعــح ہــے اور عــورتــوں کــے لــیــے اور بــھــی زیــادہ ســخــت مــنــعــح ہــے۔
نــوٹ :- آج کــل جــیــنــز پــیــنــٹ اور جــرســی پــہــنــنــے والــے اســں طــرف تــوجــہ دے۔ کــبھــی ایــســا ہــوتــا ہــے کــے فــٹ کــپــڑے کــی وجــہ ســے ســجــدے مــیــں ان کــا ســطــر کــھــول جــاتــا ہــے اور بــے پــردگــی ہــوتــی ہــے۔
نــمــاز کــی تــیــســری شــرط :- اســتــقــبــال قــبــلــہ
يــعــنــی نــمــاز مــیــں قــبــلہ مــطــلــب کــعــبــے کــی طــرف
رُ خ کــرنــا۔ نــمــازی نــے بــخــیــر شــرعــی مــجــبــوری کــے جــان بــوجھ کــر قــبــلــے کــی طــرف ســے ســیــنــے پہــير دیــا چــاہــے تھــوڑی دیــر کــے لــیــے تــو بـھـــی نــمــاز فــاســد ہــوگــی۔
نــمــاز کــی چھــٹــی شــرط وقــت :- جــو نــمــاز پــڑھــی ہــے اســں کـا وقــت ہــونــا ضــروری ہــے جــيســے کــســی کــو آج کــی عــصــر کــی نــمــاز پــڑهنــی ہــے تــو ضــروری ہــے کــہ عــصــر کــا وقــت شــروع ہــو چــکــا ہــو۔ اگــر عــصــر کـا وقــت شــروع ســے پــہــلـے ہــی پــڑھ لــی تــو نــمــاز نــہــیــں ہــوگــی۔
نــمــاز کــی پــانــچــويں شــرط نــیــت:-
نــیــت دل کــے پــکّــے ارادے کــو کــہــتــے ہــے۔ زبــان ســے نــیــت کــرنــا ضــروری نــہــیــں کــرلــے تــو بــہــتــر ہــے نــیــت مــیــں زبــان ســے زیــادہ دل کـا اعــتــبــار ہــے جــیــســے کــســی کــو ظــہــر کــی فــرص پــڑهــنــی ہــے تــو ارادہ بھــی ظــہــر کــا ہــی لــیــکــن زبــان ســے عــصــر نــکــل گــيــا تــو بھــی نــمــاز ظــہــر کــی ہــوگــی مــغــرب عــشــاہ وغــیــرہ بھــی نــکــلــے۔
نــمــاز کــی چھــٹــی شــرط تکبیرے تــعــریــمــہ:-
نــمــاز شــروع کــرنــے کــے لــیــے هــاتہہ کــان کــی لــوح تــک اٹہــا کــر الــلّــه اکــبــر کــہــنــا اســے تــکــبــیــرہ تــعــریــمــہ کــہــتــے ہــیــں۔
مـــســلــکِ اعــلٰــی حــضــرت ســلامــت رہــیــں
ایــک پــہــچــان دیــن نــبــیﷺ کــے لــیــے.
'नमाज़ का बयान
भाग : 02 से 62
नमाज़ की पेहली शर्त तहारत
नमाज़ी का बदन , कपडे , जगाह , जहा नमाज़ पढ रहा है
इन चीज़ो का हर तरह की नापाकी से पाक होना ज़रूरी है. इस को तहारत कहते है.
नमाज़ की दूसरी शर्त :
सत्र-ए-औरत.
मर्द के लिये नाफ़ के नीचे से लेकर घुटने के साथ ये बदन का हिस्सा छुपा हुवा होना ज़रूरी है.
औरत के लिये बदन के 5 हिस्से मुँह की तिक्ली , दोनो हतेलिया , दोनो पैरो के तल्वे, इन तमाम चीज़ो को छोड़ कर सारा जिस्म छुपाना लज़िम है. ये जो हिस्सा छुपाने का हुकुम है अगर नमाज़ में नज़र आये इतना पत्ला बारिक कपड़ा पेह्ना हो तो नमाज़ ना होगी. ऐसा कपड़ा जिस से राण या सत्र का कोई हिस्सा छमकता हो. ऐसा कपड़ा औरत को पेहन्ना हराम है. ऐसा मोटा , जाडा , कपड़ा जिस से बदन का रंग ना छमके मगर बदन से ऐसा चिपका हुवा हो के देकने से बोदी का शेप ज़ाहिर होता हो ऐसे कपड़े से नमाज़ हो जयेगी. मगर बोदी के उस हिस्से की तरफ़ दूसरो को देखना जाईज़ नही. ऐसे कपड़े लोगो के सामने मर्दो को भी पेहन्ना मन्आही और औरतो के लिये और भी ज़्यादा सख्त मना है
सूचना : आज कल जिन्स पैन्ट और जर्सी पेहन्ने वाले इस तरफ़ तवज्जाह दे. कभी ऐसा होता है के फिट्ट कपड़ो की वजेह से सज्दे में उन के सत्र खूल जाता है और बे-पर्दगी होती है.
नमाज़ की तीसरी शर्त
इस्तिक़्बाल-ए-क़िब्ला,
यानी नमाज़ में क़िब्ला मत्लब काबेह कि तरफ़ रुख करना.
नमाज़ी ने बगैर शारायी मज्बूरी के जान बुज कर क़िब्ले से सीना फेर दिया चाहे थोडी देर के लिये तो भी नमाज़ फासीद हो गयी.
नमाज़ की चौथी शर्त
वक़्त : जो नमाज़ पढनी है उस का वक़्त होना ज़रूरी है. जैसे किसी को आज की असर की नमाज़ पढनी है तो ज़रूरी है के असर का वक़्त शुरू हो चुका हो. अगर असर का वक़्त शुरू होने से पहले ही पढ ली तो नमाज़ नही होगी.
नमाज़ की पाचवी शर्त निय्यत.
निय्यत दिल के पक्के इरादे को केहते है. ज़बान से निय्यत करना ज़रूरी नही कर ले तो बेहतर है. निय्यत में ज़बान से ज़्यादा दिल का ऐत्बार है. जैसे किसी को ज़ोहर की फर्ज पढनी है इरादा भी ज़ोहर का है लेकिन ज़बान से असर निकल गया तो भी नमाज़ ज़ोहर की हि होगी. चाहे ज़बान से फजर, असर, मगरीब, इशा वगैरा भी निकले.
नमाज़ की छठी शर्त तक्बीर-ए-तेहरीमा
नमाज़ शुरू करने के लिये हाथ कान की लोह तक उठा कर अल्लाहू अकबर केहना. इसही तक्बीर-ए-तेहरीमा केहते है.
मस्लक-ए-आला हजरत सलामत रहे
एक पेह्चान दीन-ए-नबीﷺ के लिये
........................................
NAMAAZ KA BAYAAN
PART : 02 OF 62
NAMAAZ KI PEHLI SHART TAHAARAT
NAMAAZI KA BADAN , KAPDE , JAGAH , JAHA NAMAAZ PADH RAHA HAI
IN CHIZON KA HAR TRAH KI NAPAAKI SE PAAK HONA ZAROORI. IS KO TAHARAT KEHTE HAI.
NAMAAZ KI DUSRI SHART :
SATR-E-AURAT.
MARD K LIYE NAAF K NICHE SE LEKAR GHUTNE K SATH YE BADAN KA HISSA CHUPA HUWA HONA ZAROORI HAI.
AURAT K LIYE BADAN K 5 HISSE MUNH KI TIKLI , DONO HATHELIYA , DONO PAIRO K TALWE, IN TAMAM CHIZON KO CHHODH KAR SAARA JISM CHUPANA LAZIM HAI. YE JO HISSA CHUPANE KA HUKM HAI AGAR NAMAAZ MEIN NAZAR AAYE ITNA PATLA BAARIK KAPDA PEHNA HO TOH NAMAAZ NA HOGI. AISA KAPDA JISS SE RAAN YA SITAR KA KOI HISSA CHAMKTA HO. AISA KAPDA AURAT KO PEHANNA HARAAM HAI. AISA MOTA , JAADA , KAPDA JISS SE BADAN KA RANG NA CHAMKE MAGAR BADAN SE AISA CHIPKA HUWA HO K DEKHNE SE BODY KA SHAPE ZAAHIR HOTA HO AISE KAPDE SE NAMAAZ HO JAYEGI. MAGAR BODY K US HISSE KI TRAF DUSRO KO DEKHNA JAAIZ NAHI. AISE KAPDE LOGO K SAMNE MARDO KO BHI PEHENNA MANAHAYI AUR AURTO K LIYE AUR BHI ZAYADA SAKHT MANA HAI
NOTE : AAJ KAL JEANS PANT AUR JARSI PEHNNE WALE IS TRAF TAWAJJE DE. KABHI AISA HOTA HAI K FITT KAPDO KI WAJEH SE SAJDE MEIN UN K SITAR KHUL JATA HAI AUR BE-PARDGI HOTI HAI.
NAMAAZ KI TEESRI SHART
ISTIQBAAL-E-QIBLA,
YAANI NAMAAZ MEIN QIBLA MATLAB KAABE KI TRAF RUKH KARNA.
NAMAAZI NE BAGAIR SHARAYI MAJBOORI K JAAN BUJJ KAR QIBLE SE SEENA PHER DIYA CHAHE THODI DHER K LIYE TOH BHI NAMAAZ FAASID HO GAYI.
NAMAAZ KI CHOTHI SHART
WAQT : JO NAMAAZ PADHNI HAI US KA WAQT HONA ZAROORI HAI. JAISE KISI KO AAJ KI ASAR KI NAMAAZ PADHNI HAI TOH ZAROORI HAI K ASAR KA WAQT SHURU HO CHUKA HO. AGAR ASAR KA WAQT SHURU HONE SE PEHLE HE PADH LI TOH NAMAAZ NAHI HOGI.
NAMAAZ KI PANCHWI SHART NIYYAT.
NIYYAT DIL K PAKKE IRAADE KO KEHTE HAI. ZABAAN SE NIYYAT KARNA ZAROORI NAHI KAR LE TOH BEHTAR HAI. NIYYAT MEIN ZABAAN SE ZAYADA DIL KA AITBAAR HAI. JAISE KISI KO ZOHAR KI FARZ PADHNI HAI IRADA BHI ZOHAR KA HAI LEKIN ZABAAN SE ASAR NIKAL GAYA TOH BHI NAMAAZ ZOHAR KI HE HOGI. CHAHE ZABAAN SE FAJR, ASAR, MAGREEB, ISHA WAGAIRA BHI NIKLE.
NAMAAZ KI CHATTHI SHART TAKBIR-E-TAHRIMA
NAMAAZ SHURU KARNE K LIYE HATH KAAN KI LUH TAK UTHA KAR ALLAHU AKBAR KEHNA. ISHE TAKBIR-E-TEHRIMA KEHTE HAI.
MASLAK-E-AALA HAZRAT SALAMAT RAHE
EK PEHCHAN DEEN-E-NABIﷺ K LIYE
حــصّــہ :- 2 ســے 62
نــمــاز کــی پــہــلــی شــرط طــہــارت:-
نــمــازی کـا بــدن کــپــڑے جــگــہ جــہــاں نــمــاز پــڑھ رہــا ہــے ان چــیــزوں کـا ہــر طــرح کــی نــاپــاکــی ســے پــاک ہــونــا ضــروری اســں کــو طــہــارت کــہــتــے ہــے۔
نــمــاز کــی دوســری شــرط ســتــرہ عــورت۔
مــرد کــے لــیــے نــاف کــے نــیــچــے ســے لــیــکر گــھٹــنــے تــک کــے ســاتھ یــہ بــدن کـا حــصــہ
چـــپــا ہــوا ہــونــا ضــروری ہــے۔
عــورت کــے لــیــے بــدن کــے 5 حــصّــے مــنــہ کــی ٹــکـلی دونــوں ہــتــھــیــلــی دونــوں پــیــروں کــے تــلــوے ان تــمــام چــیــز کــو چــهــوڑ کــر ســارا جــســم چــھــپــانــا لازم ہـــے۔ یــہ جــو حــصــہ چــھــپــانــے کــا حــکــم ہــے اگــر نــمــاز مــیــں نــظــر آئــے اتــنــا پــتــلا بــارک پــھــہــنــا ہــو تــو نــمــاز نــا ہــوگــی۔ ایــســا کــپــڑا جــســں ســے ران یــا ســطر کـا کـــوئى حــصــہ چــمــکــتــا ہــو ایــســا کــپــڑا عــورت کــو پــہــنـنــا حــرام ہــے ایــســا مــوٹــا جــاڑا کــپــڑا جــســں ســے بــدن کــا رنــگ نــا چــمــکــے مــگــر بــدن کــا ایــســا حــصــہ چــپــکــا ہــوا ہــو کــے دیــکــھـنــے ســے بــوڈی کــا آکــار ظــاہــر ہــوتــا ہــوں ایــســے کــپــڑے ســے نــمـــاز ہــو جــائــیــنــگــی مــگــر بــدن کـــے حــصــے کــی طــرف دوســروں کــو دیــکــھــنــا جــائــز نــہــیـں۔ ایــســے کــپــڑے لــوگــوں کــے ســامــنــے مــردوں کــو بــھــی پــہــنــنــا
مــنــعــح ہــے اور عــورتــوں کــے لــیــے اور بــھــی زیــادہ ســخــت مــنــعــح ہــے۔
نــوٹ :- آج کــل جــیــنــز پــیــنــٹ اور جــرســی پــہــنــنــے والــے اســں طــرف تــوجــہ دے۔ کــبھــی ایــســا ہــوتــا ہــے کــے فــٹ کــپــڑے کــی وجــہ ســے ســجــدے مــیــں ان کــا ســطــر کــھــول جــاتــا ہــے اور بــے پــردگــی ہــوتــی ہــے۔
نــمــاز کــی تــیــســری شــرط :- اســتــقــبــال قــبــلــہ
يــعــنــی نــمــاز مــیــں قــبــلہ مــطــلــب کــعــبــے کــی طــرف
رُ خ کــرنــا۔ نــمــازی نــے بــخــیــر شــرعــی مــجــبــوری کــے جــان بــوجھ کــر قــبــلــے کــی طــرف ســے ســیــنــے پہــير دیــا چــاہــے تھــوڑی دیــر کــے لــیــے تــو بـھـــی نــمــاز فــاســد ہــوگــی۔
نــمــاز کــی چھــٹــی شــرط وقــت :- جــو نــمــاز پــڑھــی ہــے اســں کـا وقــت ہــونــا ضــروری ہــے جــيســے کــســی کــو آج کــی عــصــر کــی نــمــاز پــڑهنــی ہــے تــو ضــروری ہــے کــہ عــصــر کــا وقــت شــروع ہــو چــکــا ہــو۔ اگــر عــصــر کـا وقــت شــروع ســے پــہــلـے ہــی پــڑھ لــی تــو نــمــاز نــہــیــں ہــوگــی۔
نــمــاز کــی پــانــچــويں شــرط نــیــت:-
نــیــت دل کــے پــکّــے ارادے کــو کــہــتــے ہــے۔ زبــان ســے نــیــت کــرنــا ضــروری نــہــیــں کــرلــے تــو بــہــتــر ہــے نــیــت مــیــں زبــان ســے زیــادہ دل کـا اعــتــبــار ہــے جــیــســے کــســی کــو ظــہــر کــی فــرص پــڑهــنــی ہــے تــو ارادہ بھــی ظــہــر کــا ہــی لــیــکــن زبــان ســے عــصــر نــکــل گــيــا تــو بھــی نــمــاز ظــہــر کــی ہــوگــی مــغــرب عــشــاہ وغــیــرہ بھــی نــکــلــے۔
نــمــاز کــی چھــٹــی شــرط تکبیرے تــعــریــمــہ:-
نــمــاز شــروع کــرنــے کــے لــیــے هــاتہہ کــان کــی لــوح تــک اٹہــا کــر الــلّــه اکــبــر کــہــنــا اســے تــکــبــیــرہ تــعــریــمــہ کــہــتــے ہــیــں۔
مـــســلــکِ اعــلٰــی حــضــرت ســلامــت رہــیــں
ایــک پــہــچــان دیــن نــبــیﷺ کــے لــیــے.
'नमाज़ का बयान
भाग : 02 से 62
नमाज़ की पेहली शर्त तहारत
नमाज़ी का बदन , कपडे , जगाह , जहा नमाज़ पढ रहा है
इन चीज़ो का हर तरह की नापाकी से पाक होना ज़रूरी है. इस को तहारत कहते है.
नमाज़ की दूसरी शर्त :
सत्र-ए-औरत.
मर्द के लिये नाफ़ के नीचे से लेकर घुटने के साथ ये बदन का हिस्सा छुपा हुवा होना ज़रूरी है.
औरत के लिये बदन के 5 हिस्से मुँह की तिक्ली , दोनो हतेलिया , दोनो पैरो के तल्वे, इन तमाम चीज़ो को छोड़ कर सारा जिस्म छुपाना लज़िम है. ये जो हिस्सा छुपाने का हुकुम है अगर नमाज़ में नज़र आये इतना पत्ला बारिक कपड़ा पेह्ना हो तो नमाज़ ना होगी. ऐसा कपड़ा जिस से राण या सत्र का कोई हिस्सा छमकता हो. ऐसा कपड़ा औरत को पेहन्ना हराम है. ऐसा मोटा , जाडा , कपड़ा जिस से बदन का रंग ना छमके मगर बदन से ऐसा चिपका हुवा हो के देकने से बोदी का शेप ज़ाहिर होता हो ऐसे कपड़े से नमाज़ हो जयेगी. मगर बोदी के उस हिस्से की तरफ़ दूसरो को देखना जाईज़ नही. ऐसे कपड़े लोगो के सामने मर्दो को भी पेहन्ना मन्आही और औरतो के लिये और भी ज़्यादा सख्त मना है
सूचना : आज कल जिन्स पैन्ट और जर्सी पेहन्ने वाले इस तरफ़ तवज्जाह दे. कभी ऐसा होता है के फिट्ट कपड़ो की वजेह से सज्दे में उन के सत्र खूल जाता है और बे-पर्दगी होती है.
नमाज़ की तीसरी शर्त
इस्तिक़्बाल-ए-क़िब्ला,
यानी नमाज़ में क़िब्ला मत्लब काबेह कि तरफ़ रुख करना.
नमाज़ी ने बगैर शारायी मज्बूरी के जान बुज कर क़िब्ले से सीना फेर दिया चाहे थोडी देर के लिये तो भी नमाज़ फासीद हो गयी.
नमाज़ की चौथी शर्त
वक़्त : जो नमाज़ पढनी है उस का वक़्त होना ज़रूरी है. जैसे किसी को आज की असर की नमाज़ पढनी है तो ज़रूरी है के असर का वक़्त शुरू हो चुका हो. अगर असर का वक़्त शुरू होने से पहले ही पढ ली तो नमाज़ नही होगी.
नमाज़ की पाचवी शर्त निय्यत.
निय्यत दिल के पक्के इरादे को केहते है. ज़बान से निय्यत करना ज़रूरी नही कर ले तो बेहतर है. निय्यत में ज़बान से ज़्यादा दिल का ऐत्बार है. जैसे किसी को ज़ोहर की फर्ज पढनी है इरादा भी ज़ोहर का है लेकिन ज़बान से असर निकल गया तो भी नमाज़ ज़ोहर की हि होगी. चाहे ज़बान से फजर, असर, मगरीब, इशा वगैरा भी निकले.
नमाज़ की छठी शर्त तक्बीर-ए-तेहरीमा
नमाज़ शुरू करने के लिये हाथ कान की लोह तक उठा कर अल्लाहू अकबर केहना. इसही तक्बीर-ए-तेहरीमा केहते है.
मस्लक-ए-आला हजरत सलामत रहे
एक पेह्चान दीन-ए-नबीﷺ के लिये
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NAMAAZ KA BAYAAN
PART : 02 OF 62
NAMAAZ KI PEHLI SHART TAHAARAT
NAMAAZI KA BADAN , KAPDE , JAGAH , JAHA NAMAAZ PADH RAHA HAI
IN CHIZON KA HAR TRAH KI NAPAAKI SE PAAK HONA ZAROORI. IS KO TAHARAT KEHTE HAI.
NAMAAZ KI DUSRI SHART :
SATR-E-AURAT.
MARD K LIYE NAAF K NICHE SE LEKAR GHUTNE K SATH YE BADAN KA HISSA CHUPA HUWA HONA ZAROORI HAI.
AURAT K LIYE BADAN K 5 HISSE MUNH KI TIKLI , DONO HATHELIYA , DONO PAIRO K TALWE, IN TAMAM CHIZON KO CHHODH KAR SAARA JISM CHUPANA LAZIM HAI. YE JO HISSA CHUPANE KA HUKM HAI AGAR NAMAAZ MEIN NAZAR AAYE ITNA PATLA BAARIK KAPDA PEHNA HO TOH NAMAAZ NA HOGI. AISA KAPDA JISS SE RAAN YA SITAR KA KOI HISSA CHAMKTA HO. AISA KAPDA AURAT KO PEHANNA HARAAM HAI. AISA MOTA , JAADA , KAPDA JISS SE BADAN KA RANG NA CHAMKE MAGAR BADAN SE AISA CHIPKA HUWA HO K DEKHNE SE BODY KA SHAPE ZAAHIR HOTA HO AISE KAPDE SE NAMAAZ HO JAYEGI. MAGAR BODY K US HISSE KI TRAF DUSRO KO DEKHNA JAAIZ NAHI. AISE KAPDE LOGO K SAMNE MARDO KO BHI PEHENNA MANAHAYI AUR AURTO K LIYE AUR BHI ZAYADA SAKHT MANA HAI
NOTE : AAJ KAL JEANS PANT AUR JARSI PEHNNE WALE IS TRAF TAWAJJE DE. KABHI AISA HOTA HAI K FITT KAPDO KI WAJEH SE SAJDE MEIN UN K SITAR KHUL JATA HAI AUR BE-PARDGI HOTI HAI.
NAMAAZ KI TEESRI SHART
ISTIQBAAL-E-QIBLA,
YAANI NAMAAZ MEIN QIBLA MATLAB KAABE KI TRAF RUKH KARNA.
NAMAAZI NE BAGAIR SHARAYI MAJBOORI K JAAN BUJJ KAR QIBLE SE SEENA PHER DIYA CHAHE THODI DHER K LIYE TOH BHI NAMAAZ FAASID HO GAYI.
NAMAAZ KI CHOTHI SHART
WAQT : JO NAMAAZ PADHNI HAI US KA WAQT HONA ZAROORI HAI. JAISE KISI KO AAJ KI ASAR KI NAMAAZ PADHNI HAI TOH ZAROORI HAI K ASAR KA WAQT SHURU HO CHUKA HO. AGAR ASAR KA WAQT SHURU HONE SE PEHLE HE PADH LI TOH NAMAAZ NAHI HOGI.
NAMAAZ KI PANCHWI SHART NIYYAT.
NIYYAT DIL K PAKKE IRAADE KO KEHTE HAI. ZABAAN SE NIYYAT KARNA ZAROORI NAHI KAR LE TOH BEHTAR HAI. NIYYAT MEIN ZABAAN SE ZAYADA DIL KA AITBAAR HAI. JAISE KISI KO ZOHAR KI FARZ PADHNI HAI IRADA BHI ZOHAR KA HAI LEKIN ZABAAN SE ASAR NIKAL GAYA TOH BHI NAMAAZ ZOHAR KI HE HOGI. CHAHE ZABAAN SE FAJR, ASAR, MAGREEB, ISHA WAGAIRA BHI NIKLE.
NAMAAZ KI CHATTHI SHART TAKBIR-E-TAHRIMA
NAMAAZ SHURU KARNE K LIYE HATH KAAN KI LUH TAK UTHA KAR ALLAHU AKBAR KEHNA. ISHE TAKBIR-E-TEHRIMA KEHTE HAI.
MASLAK-E-AALA HAZRAT SALAMAT RAHE
EK PEHCHAN DEEN-E-NABIﷺ K LIYE