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☆कुरआन मजीद हुजुर का आईनादारी है।,


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♥अजीम हकीकत : रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) अरबी (अरब के) हैं तो कुरआन भी अरबी!
जब रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) मक्का मे थे तो वहां पर जो वही (पैगाम) अल्लाह तआला की जानीब से आप पर नाजील हुई ओ आयाते मक्की कहलाई!
जब आप (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) मदीना मुनाव्वरा मे थे और वहां पर अल्लाह तआला की ओर से जो वही (पैगाम) नाजील हुई ओ कुरआनी आयातें "मदनी" कहलाई गयी!

जितना बढ़कर आप (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने नमाज मे रुकु कर लिया तो उस हिस्से का नाम रूकु हो गया!
जिस जगह आप (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने रुकु कर सांस ले लि ओ जगह आयत बन गयी!
जिस जगह बिना सांस तोड़े ठेहरे, ओ जगह "सख्ता" कहलाई!
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●कुरआन-ए-मजीद रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) का आईनादारी हैं।
(तफसिर-ए-नईमी)

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√ Post Written By :-
#(मोहम्मद अरमान गौस )

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