Unknown

☆कोई मोमीन किसी मोमीन से नफरत ना करे....


♥हदीस : नबी-ए-करिम (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने फरमाया--
"कोई मोमीन किसी मोमीन से नफरत ना करे अगर ओ उसके किसी एक अख्लाक से नराज होगा तो दुसरे से राजी हो जाएगा"
(साही मुस्लिम)
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♥सबक : गर एक इमान वाला दुसरे इमान वाले से मेहज उसकी एक खामी की वजह से नराज हो, तो उसे चाहिए की उसकी किसी अच्छाइयों को याद कर ले, क्योंकी हर शख्स किसी ना किसी खसलतो के आदी है। और जो कोइ शख्स अपने लिए हर किस्म से बे-ऐब साथी (दोस्त या हमसफर)  की तलाश मे हो लाजीम है की ओ हमेशा तन्हा ही रहेगा।

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√ Post Written By :-
#(मोहम्मद अरमान गौस )