Unknown

नामे हुसैन निकला जो मेरी ज़ुबान से











नामे हुसैन निकला जो मेरी ज़ुबान से..
रहमत के फूल गिरने लगे आसमान से..

उसने दलील माँगी थी मुझसे तो सब्र की,
मैंने हुसैन कह दिया दिल और जान से ।